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कहानी संग्रह का शीर्षक बरगद काट दो संग्रह की एक कहानी का भी शीर्षक है। इस कहानी का सारांश यह है कि हम एक विविधता भरे समाज में रहते हैं, जिसके फलने-फूलने के लिए आपसी सद्भाव और भाईचारा जरूरी है। लेकिन विविधता कुछ परिस्थितियों में बिना व्यक्तिगत हानि पहुँचानेवाले लोगों के लिए नफरत भी पैदा कर सकती है। और दिल में नफरत का बीज पड़ जाता है तो कालांतर में वह बरगद के पेड़ की तरह हमारे दिल में फैलकर प्यार और अन्य कोमल भावनाओं के लिए जगह नहीं छोड़ता। इस नफरत के बरगद को काटना जरूरी है। पूरी पुस्तक में लगभग सभी कहानियाँ सामाजिक सद्भाव, आपसी भाईचारा और अपने समूह से ऊपर उठकर व्यक्तिगत संबंधों को तरजीह देने और धार्मिक, जातीय या क्षेत्रीय कट्टरता को परे करने का संदेश देती हैं। आपसी प्यार हमें इन सबसे ऊपर उठाता है। कुछ कहानियों में समाज में फैले अंधविश्वासों पर भी करारी चोट है।
इस विविधता में एकता की बेल को सिंचित करने में लेखक कितना सफल है, यह पाठक तय करेंगे।