Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Bas, Itani Si Roshni

₹200

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Veerbala Verma
Features
  • ISBN : 9789380183480
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Veerbala Verma
  • 9789380183480
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 144
  • Hard Cover
  • 290 Grams

Description

“जीजी, ऊषा जीजी को गुजरे कितने दिन हुए होंगे?” वे चौंक-सी गई थीं। अचानक उनके चेहरे पर उदासी की एक घनी परत बिछ गई थी। बोलीं, “गुजरे तो दो साल हो रहे हैं दुलहन; लेकिन वे इतनी मनमोहक, इतनी समझदार और इतनी सबकी दुलारी थीं कि अब तक घर का हर व्यक्‍ति अनजाने जैसे उन्हें ही ढूँढ़ता रहता है।” दुलहन ने लक्ष्य किया कि उनकी आँखें भी आँसुओं का सोता बन रही हैं। भरे गले से बोलीं, “ऐसी निश्छल लड़की से भी किसी की दुश्मनी हो सकती है? कोई सोच सकता है भला?”“दुश्मनी? कैसी दुश्मनी, जीजी?”
“हाँ दुलहन, वैसे तो हर एक की मौत विधाता के विधान से होती है, पर किसी की बद‍्दुआ सी गहरी चोट देती है, जो जिंदगी को सदा के लिए एक टीस बनाकर मौत की सुरंग भी बन जाती है।”
दुलहन को बेहद आश्‍चर्य हुआ। वह तुरंत पूछ बैठी, “पर उन्हें बद‍्दुआ दी किसने?”
—इसी संग्रह से
सुप्रसिद्ध लेखिका वीरबाला वर्मा की ये कहानियाँ जीवन की परिस्थितियों की निर्ममताओं और विसंगतियों के बीच जीवन को सही तरीके से जी लेने की भरपूर तरकीबें सुझाती हैं। सभी कहानियाँ एक से एक बढ़कर हैं। भरपूर मनोरंजन के साथ जीवन की राह सुगम बनानेवाली मार्गदर्शक कहानियाँ।

The Author

Veerbala Verma

जन्म : 8 मार्च, 1939 को मिर्जापुर (ननिहाल) में। 12 वर्ष की उम्र से काशी में निवास।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी एवं राजनीति-शास्‍‍त्र), एल.टी.।
प्रकाशन : बाल्यावस्था से कहानी, कविता, लेख आदि लिखने की अभिरुचि। विद्यालय की हस्तलिखित एवं मुद्रित पत्रिका के माध्यम से भावाभिव्यक्‍ति। पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित। दूरदर्शन पर काव्य-पाठ प्रसारित। आकाशवाणी के ‘गृहलक्ष्मी’ कार्यक्रम से कहानियों का नियमित प्रसारण। नगर की प्रमुख साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़ाव।
सम्मान : नगर की प्रमुख संस्थाओं—रोटरी, जेसीज, लायंस, प्रतीक, चित्रगुप्‍त, क्षमा आदि द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत।
संप्रति : सेवानिवृत्ति के बाद गत कुछ वर्षों से ‘अपाला वनवासी कन्या आश्रम’ में ‘अध्यक्षा’ के रूप में अवैतनिक सेवा।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW