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इस संकलन में जहाँ एक ओर शृंगार रस के संयोग और वियोग, दोनों रूप दिखाई देते हैं, वहीं जीवन के प्रति आशावादी दृष्टकोण भी दिखाई देता है। सामाजिक बुराइयाँ, जैसे—कन्याभ्रूण हत्या, नारी की अवमानना, सामाजिक विषमताएँ तथा पर्यावरण का विनाश जैसी बुराइयों से द्रवित मन की पीड़ा भी इन कविताओं में व्यक्त है। यह नारी जीवन का दर्द ही तो है, जिसकी सारी प्रतिभाएँ—चौका-चूल्हा, रीति-रिवाज, रिश्ते-नाते तथा पूजापाठ में दबकर रह जाती हैं। शायद इसलिए मुझे इस कविता संकलन का शीष्र्ाक ‘बट्टे से दबी तारीखें’ विष्ायवस्तु को देखते हुए सटीक लगा।
प्रसिद्ध कपड़ा व्यवसायी हनुमान प्रसाद तुलस्यान की पौत्री तथा उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध लॉटरी व्यवसायी (लॉटरी सम्राट्) श्री बद्रीप्रसाद गोयल की पुत्रवधु।
कृतित्व : कविता, कहानियाँ, रिपोर्ताज, यात्रा-वृत्तांत तथा लेख दैनिक जागरण, अमर उजाला, आई नेक्ट, सरिता, रूपायन, हैलो कानपुर जैसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, अन्य साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित तथा रेडियो से प्रसारित।
सन् 1998 से आर्किटेक्चर फर्म कर्वे गुंजाल ऐंड एसोसिएटेड के साथ एक इंटीरियर डिजायनर की हैसियत से कार्यरत। सन् 1997 में पति राकेश गोयल के साथ मिलकर कादंबरी ज्वैलर्स की स्थापना की। सेवा संस्थान काकादेव कानपुर की फाउंडर ट्रस्टी, डायरेक्टर और सिलाई केंद्र संचालिका तथा लॉयन क्लब आदर्श की मेंबर, अर्पिता महिला मंडल में कार्यकारिणी सदस्य। दुर्गाप्रसाद दुबे पुरस्कार कमेटी की सदस्या, लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी की संस्थापक सदस्या। उ.प्र. के राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत; साहित्य वाचस्पति सम्मान तथा दैनिक जागरण, कानपुर में लोकपाल की पदवी से सम्मानित।
संप्रति : पति राकेश गोयल के साथ ज्वैलरी व्यापार में संलग्न।