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बीजक अर्थात् बीज। परमात्म रूपी धन प्राप्त करने का। हमारे ऋषियों ने तृतीय नेत्र खोलने की विधि को छुपा दिया ताकि कोई सुपात्र ही उसे ग्रहण कर जगत् का कल्याण कर सके; रावण जैसा कुपात्र उसे जानकर जगत् का विध्वंस न कर पाए। पहले लोग बीजक बनाकर खजाने के रहस्य को छुपा देते थे जिससे उनके बाद यदि मूर्ख उत्तराधिकारी आएँ तो उस धन को बर्बाद न कर पाएँ। वही बीजक है यह भी।
रमैनी अर्थात कथा-गाथा जिसे राम ने गाया है। राम ही परब्रह्म परमात्मा हैं। वह एक ही बहुत रूपों में प्रकट हो जाते हैं। जब वह परमपिता परमात्मा माया से संबंधित नहीं होता तो उसे ब्रह्मा कहते हैं। जब माया से संबंधित होता है तो ईश्वर कहा जाता है। जब वही माया से और अविद्या से आबद्ध हो जाता है तो तुम साधारण जीव हो जाते हो। जो दुःखों से, माया से, वासना से बुरी तरह आबद्ध हो जाता है, उसी को जीव कह दिया गया है। तुम यदि अविद्या से मुक्त हो गए तो ईश्वर हो जाओगे। माया से मुक्त हो गए तो ब्रह्मा हो जाओगे। राम हो जाओगे। राम, तुम ही हो।
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अनुक्रम
लेखक स्वामी श्री का परिचय — Pgs. 5
भूमिका — Pgs. 7
प्रवचन-1
एक लहू, एक प्राण से उत्पन्न जीवों का मतिभ्रम — Pgs. 15
बीजक रमैनी भाव्य, रमैनी-1 सृष्टि की उत्पत्ति का रहस्य
प्रवचन-2
माया-अविद्या से रहित जीव ही राम है — Pgs. 27
रमैनी-2 मनुष्य की उत्पत्ति का रहस्य
प्रवचन-3
प्रपंच नहीं, रामनाम का जहाज ही पहुँचाएगा सिरजनहार तक — Pgs. 32
रमैनी-3 माया का बहु विस्तार, रमैनी-4 गुरु ही जीव में स्थित परमात्मा को प्रत्यक्ष कर सकता है
प्रवचन-4
धुंधमयी संसार-सागर का खेवैया है—समय का सद्गुरु — Pgs. 43
रमैनी-5 गुरु ज्ञान बिन धुंध प्रकरण, रमैनी-6 ब्रह्म प्रकरण
प्रवचन-5
सत्य तुम ही हो, सार तुम ही हो — Pgs. 52
रमैनी-7 प्रलयकाल में परमात्मा की उपस्थिति का रहस्य, रमैनी-8 तवमसि उपदेश प्रकरण
प्रवचन-6
बंधन और मुक्ति का रहस्य — Pgs. 62
रमैनी-9 तैंतीस करोड़ देव बंधन का कारण, रमैनी-10 मुक्ति प्रदायक अमृत वस्तु
प्रवचन-7
आत्मा रूपी सूर्य माया रूपी अंधकार — Pgs. 69
रमैनी-11 अज्ञानमय सृष्टि प्रकरण, रमैनी-12 माया में फँसे जीव का हाल
प्रवचन-8
विषय रूपी विष के चकर में मूलधन (आत्मा) खोना — Pgs. 76
रमैनी-13 अंधविश्वास प्रकरण, रमैनी-14 व्यवस्थावादी प्रकरण
प्रवचन-9
भ्रमजाल से उत्पन्न कर्मजाल — Pgs. 85
रमैनी-15 विषम को सम बनाते हैं सद्गुरु, रमैनी-16 ढकोसला एवं पोंगापंथ प्रकरण
प्रवचन-10
वंचक गुरु डाले भ्रम में, सद्गुरु निकाले भ्रम से — Pgs. 95
रमैनी-17 जिज्ञासु व वंचक गुरु प्रकरण, रमैनी-18 संशय वंचक गुरुओं पर और श्रद्धा सद्गुरु पर करो, रमैनी-19 भटके योगी प्रकरण
प्रवचन-11
दु:ख की खान से बचानेवाले राम को पाने की युति देते हैं सद्गुरु — Pgs. 104
रमैनी-20 बहुबंधन विभंजन प्रकरण, रमैनी-21 दुख से बचना है तो आत्मा राम को जानो
प्रवचन-12
क्षणिक सुख में फँसकर शाश्वत सुख का परित्याग — Pgs. 112
रमैनी-22 पराधीन जीवन प्रकरण, रमैनी-23 क्षणिक सुख का कारण है भ्रम
प्रवचन-13
शाश्वत सुख रूपी परमात्मा प्राप्त होगा युति से, ढोंग से नहीं — Pgs. 119
रमैनी-24 मिथ्या मोह प्रकरण, रमैनी-25 चौंतीस आखर प्रकरण
प्रवचन-14
एक अंड ओंकार ते सब जग भया पसार — Pgs. 128
रमैनी-26 ईश्वर महिमा प्रकरण, रमैनी-27 त्रिगुणात्मक सृष्टि प्रकरण
प्रवचन-15
विषहर मंत्र—‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ — Pgs. 137
रमैनी-28 कर्मपट्ट बुननेवाला जुलाहा प्रकरण, रमैनी-29 रजोगुण से ऊपर उठकर परम तव को प्राप्त करने की कला
प्रवचन-16
बहिर्मुखी क्रियाएँ धर्म नहीं पाखंड हैं — Pgs. 146
रमैनी-30 षट्दर्शन प्रकरण, रमैनी-31 हिंदू पाखंड खंडन प्रकरण
प्रवचन-17
बहिरंग जाप नहीं, अंतरंग जाप करेगा उद्धार — Pgs. 155
रमैनी-32 विवेकहीन अंधे के लिए शास्त्र की अनुपयोगिता प्रकरण, रमैनी-33 शास्त्र जाल का बंधन प्रकरण
प्रवचन-18
मुक्ति का मार्ग अभेद दर्शन — Pgs. 164
रमैनी-34 मुक्ति का मर्म प्रकरण, रमैनी-35 पंडित प्रकरण
प्रवचन-19
बीजक का अर्थ — Pgs. 174
रमैनी-36 राम नाम जानकर छोड़ दो वस्तु खोटी, रमैनी-37 सात सयान (चक्र) प्रकरण
प्रवचन-20
भ्रम भूत सकल जग खाया — Pgs. 188
रमैनी-38 आत्म संतोष प्रकरण, रमैनी-39 संप्रदाय तथा जाति-पाँति से ऊपर प्रकरण
प्रवचन-21
सबका दास बनने से अच्छा हरि का दास बन जाओ — Pgs. 196
रमैनी-40 इस्लाम अज्ञान प्रकरण, रमैनी-41 दु:खमय संसार समुद्र और सुख स्वरूप राम प्रकरण
प्रवचन-22
अद्वैत में ही सुख है, द्वैत में ही दु:ख है — Pgs. 205
रमैनी-42 परमात्म तव प्रकरण, रमैनी-43 कुसंगति प्रकरण
प्रवचन-23
मीन-जाल है यह संसार — Pgs. 215
रमैनी-44 साधु की संगति प्रकरण, रमैनी-45 जगत नश्वर प्रकरण
प्रवचन-24
सद्गुरु प्रदा युति से माया का प्रवेश निषेध — Pgs. 222
रमैनी-46 सृष्टि प्रलय प्रकरण, रमैनी-47 जग मोहिनी माया प्रकरण
प्रवचन-25
दर्द जानो, फिर पीर कहाओ — Pgs. 235
रमैनी-48 इस्लामी धर्म विरुद्ध आचरण पर प्रहार प्रकरण, रमैनी-49 राम भजन से अल्लाह से साक्षात्कार प्रकरण
प्रवचन-26
समस्त समस्याओं का समाधान है—ध्यान — Pgs. 243
रमैनी-50 ममता प्रकरण, रमैनी-51 परमतव प्राप्ति प्रकरण
प्रवचन-27
माया है रोग, दवा हैं राम — Pgs. 251
रमैनी-52 गंभीर प्रकरण, रमैनी-53 किंकर्तव्यविमूढ़ प्रकरण
प्रवचन-28
धन नहीं, धर्म है मानव-जीवन का उद्देश्य — Pgs. 259
रमैनी-54 देह क्षणभंगुरता प्रकरण, रमैनी-55 मृत्यु शाश्वत सत्य प्रकरण
प्रवचन-29
सत्यदृष्टा नहीं फँसता कृत्रिम अवधारणाओं में — Pgs. 268
रमैनी-56 विषयी जीवन की सारहीनता प्रकरण, रमैनी-57 स्वर्ग व मन की पवित्रता प्रकरण
प्रवचन-30
राम हो, राम से मित्रता कर लो — Pgs. 276
रमैनी-58 स्वराज्य प्राप्ति प्रकरण, रमैनी-59 सकाम कर्म विरोध प्रकरण
प्रवचन-31
लबारपन धर्म नहीं — Pgs. 283
रमैनी-60 वैराग्य प्रकरण, रमैनी-61 धर्म व ईश्वर प्रकरण
प्रवचन-32
ध्यान प्रथम और अंतिम सूत्र है मुक्ति का — Pgs. 292
रमैनी-62 ऊँच-नीच प्रकरण, रमैनी-63 जातिबंधन प्रकरण
प्रवचन-33
राम नाम ही सार है — Pgs. 299
रमैनी-64 देहात्मवाद प्रकरण, रमैनी-65 मानव गुण अपेक्षा प्रकरण
प्रवचन-34
कामनाविहीन साधना भति है — Pgs. 306
रमैनी-66 राम रसायन महिमा प्रकरण, रमैनी-67 भति प्रकरण
प्रवचन-35
घर में स्थित परमात्मा के लिए बाहर भटकना व्यर्थ — Pgs. 314
रमैनी-68 हरि वियोग प्रकरण, रमैनी-69 साधु वेषधारियों पर विमोह प्रकरण
प्रवचन-36
कष्टपूर्ण दु:साध्य योग अहंकार बढ़ाता है — Pgs. 321
रमैनी-70 बोलने की कला प्रकरण, रमैनी-71 अभिमान युत योग एवं मिथ्या साधना प्रकरण
प्रवचन-37
माया है मिथ्या, सत्य है परमात्मा — Pgs. 329
रमैनी-72 माया प्रकरण, रमैनी-73 उलट बाँसी प्रकरण
प्रवचन-38
वासना से सुख पाने की आशा तृष्णा है दु:ख का कारण — Pgs. 335
रमैनी-74 आस-ओस प्रकरण, रमैनी-75 परमप्रभु शरणागत प्रकरण
प्रवचन-39
दु:ख-सुख से रहित आत्म-आनंद में स्थिर हो जाओ — Pgs. 344
रमैनी-76 माया-मोह प्रकरण, रमैनी-77 परमतव उभय स्वरूप प्रकरण
प्रवचन-40
मनुष्य-जन्म से चूकना अपराध है — Pgs. 351
रमैनी-78 तन के अनगिनत साझी प्रकरण, रमैनी-79 विषय वासना प्रकरण
प्रवचन-41
देव-चरित्र मानव से श्रेष्ठ नहीं — Pgs. 358
रमैनी-80 विवेकहीन आशा प्रकरण, रमैनी-81 काम-वासना प्रकरण
प्रवचन-42
सद्गुरु दु:ख के असली कारण का निवारण करते हैं — Pgs. 366
रमैनी-82 युति से नियंत्रित अदृश्य मोहमाया प्रकरण, रमैनी-83 क्षत्रिय धर्म प्रकरण, रमैनी-84 कर्मफल प्रकरण