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प्रसिद्ध उद्यमी एवं विश्वविख्यात सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति का सपना युवाओं की एक ऐसी पीढ़ी को देखना है जो ‘हाँ, हम करेंगे’ के नारे को अपनाए और वास्तव में इन बेहतरीन विचारों को हकीकत का जामा पहनाने के लिए कड़ी मेहनत करे। अपने राष्ट्र के संस्थापकों की मेहनत और त्याग को वे अपनी आँखों के सामने जाया होते नहीं देख सकते। नारायण मूर्ति एक विचारशील लेखक हैं, जिनके ओजपूर्ण व्याख्यान समय-समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में पिछले पाँच साल में उनके द्वारा दिए डेढ़ सौ व्याख्यानों में से अड़तीस को चुना गया है। इनमें भारत और विश्व के भविष्य के जुड़े मुद्दों को उठाने की कोशिश की गई है। वैश्वीकरण, लीडरशिप, असमानता, कॉरपोरेट गवर्नेंस और मूल्य जैसे महत्त्वपूर्ण शब्दों को अनेक व्याख्यानों में प्रस्तुतीकरण की पूर्णता के लिए बार-बार परिभाषित किया गया है।
भारत का महान् भविष्य बनाने में युवाओं की भागीदारी में उनका असीम विश्वास है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विद्यार्थियों को उनके व्याख्यानों का फोकस अपनी उद्यमी यात्रा और अपने जीवनकाल में हासिल किए सबकों, उभरते बाजारों, कॉरपोरेट गवर्नेंस, वैश्विक तापमान और पूँजीवाद में विश्वास की पुनर्स्थापना के महत्त्व जैसे समकालीन मुद्दों पर रहा है।
अतः हम बेहतर भारत और बेहतर दुनिया के लिए अपने इस संसार की कमियों और सीमाओं को यथारूप में पहचानें, उस संसार के बारे में विचार करें जो हम इसे बनाना चाहते हैं, और इस संसार को बेहतर बनाने के लिए त्याग और मेहनत करें।
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अनुक्रमणिका
आभार — Pgs. vii
प्रस्तावना — Pgs. xi
खंड-I छात्रों को संबोधन
1. अनुभव से ज्ञान — Pgs. 3
2. इकीसवीं सदी का भारतीय — Pgs. 9
3. समकालीन संसार में सफलता — Pgs. 17
4. वैश्वीकृत कॉरपोरेशन में सफलता — Pgs. 22
5. उत्कृष्टता की आवश्यकता — Pgs. 27
6. वैश्वीकरण के युग में विधि-व्यवसायी — Pgs. 30
7. भारत में और अधिक खुले व्यापार के दौर की वकालत — Pgs. 34
8. शिक्षा में धर्म की भूमिका — Pgs. 39
खंड-II मूल्य
9. पश्चिम से हम या सीख सकते हैं? — Pgs. 45
10. राष्ट्रीय विकास में गति लाने में अनुशासन की भूमिका — Pgs. 52
11. हम भारत में भ्रष्टाचार को कैसे रोक सकते हैं? — Pgs. 62
12. धर्मनिरपेक्षता की प्रशंसा — Pgs. 67
13. चक दे, इंडिया! की बारी — Pgs. 71
14. मेरा सशक्त भारत — Pgs. 72
खंड-III अहम राष्ट्रीय मुद्दे
15. 1991 के आर्थिक सुधारों से सीखे सबक — Pgs. 77
16. भारत में जनसंया और आर्थिक विकास — Pgs. 86
17. आधुनिक भारत में शहरी योजना के उपाय — Pgs. 93
18. भारत की तस्वीर बदल देने वाले आठ दृष्टिकोण — Pgs. 103
19. सॉ़टवेयर उद्यम: नए भारत के मंदिर — Pgs. 107
खंड-IV शिक्षा
20. अगर मैं किसी सैकेंडरी स्कूल का प्रिंसिपल होता? — Pgs. 119
21. भारत में उच्च शिक्षा में सुधारों के उपाय — Pgs. 121
22. अधूरे काम — Pgs. 136
खंड-V नेतृत्व की चुनौतियां
23. ठषपवपी॒र्॒ इंफ़ोसिस यात्रा के दौरान सीखे सबक — Pgs. 143
24. उभरते भारत के लिए नेतृत्व की मानसिकता — Pgs. 152
खंड-VI कॉरपोरेट एवं लोक प्रशासन
25. अच्छा कॉरपोरेट प्रशासन मात्र चेकलिस्ट या नई मानसिकता? — Pgs. 159
26. कॉरपोरेट प्रशासन और भारत में इसकी प्रासंगिकता — Pgs. 170
27. कॉरपोरेट फीधबरमठ॒र्॒ एक व्यवसायी का नजरिया — Pgs. 177
28. प्रभावी लोक प्रशासन का नया मॉडल — Pgs. 183
खंड-VII कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व एवं लोक कल्याण
29. सहृदय पूंजीवाद — Pgs. 191
30. भारत में लोक कल्याण की पीड़ा — Pgs. 198
खंड-VIII उद्यमशीलता
31. एक उद्यमी का मंथन — Pgs. 207
32. उद्यमशीलता — Pgs. 215
खंड-IX वैश्वीकरण
33. या हमें एक सपाट दुनिया की ज़रूरत है? — Pgs. 223
34. भारत के लिए वैश्वीकरण को कारगर बनाना — Pgs. 232
35. उभरती अर्थव्यवस्थाओं का रूपांतरण और नई विरासतों का निर्माण — Pgs. 243
खंड-X इंफोरिस
36. कॉरपोरेशन की साख की अहमियत — Pgs. 253
37. अब तक का सफ़र — Pgs. 256
38. वयस्क होने पर — Pgs. 259
एन.आर. नारायण मूर्ति बेंगलुरु स्थित विश्व प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर परामर्श कंपनी इंफोसिस टेक्नॉलोजीज लिमिटेड के संस्थापक चेयरमैन हैं। वे यूनीलिवर, एच.एस.बी.सी., एन.डी.टी.वी., फोर्ड फाउंडेशन और यू.एन. फाउंडेशन के बोर्ड में शामिल हैं। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, व्हार्टन स्कूल, सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (बेंगलुरु), इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (हैदराबाद) एवं इनसिएड के बोर्ड में भी वे सम्मिलित हैं।
‘इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका ने 2005 में नारायण मूर्ति को विश्व के सर्वाधिक प्रशंसित दस व्यापारिक लीडर्स में रखा। 2004 से 2006 तक लगातार तीन वर्ष वे ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ के सबसे शक्तिशली सी.ई.ओ. की सूची में शिखर पर रहे। भारत सरकार द्वारा ‘पद्म विभूषण’, फ्रांस सरकार द्वारा ‘लीजन ऑफ ऑनर’ और ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘सी.बी.ई.’ से सम्मानित किए गए हैं। ‘अर्न्स्ट एंड यंग’स वर्ल्ड एंटरप्रिन्योर ऑफ द ईयर’ एवं ‘मैक्स श्मिडहाइनी लिबर्टी’ पुरस्कार पानेवाले वे पहले भारतीय हैं। इंडिया टुडे, बिजनेस स्टैंडर्ड, फोर्ब्स, बिजनेसवीक, टाइम, सी.एन.एन., फॉर्च्यून एवं फाइनेंशियल टाइम्स की रैंकिंग में भी उन्हें विशिष्ट स्थान प्राप्त है।
शुचिता मीतल पिछले कई वर्षों से अनुवाद के क्षेत्र से जुड़ी हैं। संप्रति स्वतंत्र लेखन व अनुवाद कार्य कर रही हैं।