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इस पुस्तक का हर लेख एक विषय पर केंद्रित है। किसी को कम श्रेष्ठ कहना कठिन काम है। पुस्तक के लेखों का समग्र फलक बहुत बड़ा है। इसकी व्यापकता में राजनीति, संसद्, राजनीतिक मर्यादा, संस्कृति, राजनीतिक इतिहास, शिक्षा, देश के ज्वंलत प्रश्न, हिंदू-मुसलिम संबंध, पाकिस्तान और काला धन आदि विषय समाए हुए हैं। राजनीति के केंद्र और परिधि में जो-जो विषय आ सकते हैं, उन्हें इसमें पाया जा सकता है। एक अर्थ में यह कहना ज्यादा उचित है कि इसमें समसामयिक विषयों में से कुछ छूटा ही नहीं है। सब कुछ आ गया है। विषय अलग-अलग हैं। इन्हें पढ़ते हुए पाठक भाषा का मनोरम प्रवाह अनुभव कर सकेंगे। उलझाव तो कहीं नहीं है। एक राजनीतिक दल के नेता और सांसद की कलम पर कई बार इतना बोझ आ जाता है कि वह ठिठक जाती है। कुंठित हो जाती है। इसे लेखन में लेखक कोशिश कर छिपाता है, पर वह छिपता नहीं है। रवींद्र किशोर सिन्हा ने न तो बोझ महसूस किया है और न ही वे लेखन में कहीं से पाठक को गुफाओं से गुजारते हैं। इसलिए इन लेखों को पढ़ते हुए किसी गुफा से गुजरने की ऊब नहीं होती। हर पाठक अनुभव कर सकता है कि वह पौ फटने की बेला में है। नया दिन नए विचार और नए दृष्टिकोण से शुरू करने का उसे सुअवसर प्राप्त हो रहा है। अपनी राजनीतिक-सांस्कृतिक निष्ठा बनाए रखते हुए वे पेशेवर मर्यादाओं का अपने लेखों में पूरा पालन करते देखे जा सकते हैं।
—इसी पुस्तक से
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अनुक्रम
पुरोकथन — Pgs. 5
अपनी बात — Pgs. 9
1. बंद करो मेड इन चाइना दीवाली मनाना — Pgs. 15
2. भारत-पाक संबंध वक्त एक नए सूरज के निकलने का — Pgs. 19
3. नेताजी को यों चोट पहुँचाते रहे नेहरूजी — Pgs. 25
4. सावधानीपूर्वक निपटना होगा धूर्त पाकिस्तान से — Pgs. 30
5. पठानकोट से संदेश जागे देश, जारी रहे पाक से बातचीत भी — Pgs. 35
6. राजेंद्र बाबू से यों बचते थे नेहरू — Pgs. 40
7. अब बस करो नदियों में मूर्तियों को विसर्जित करना — Pgs. 46
8. सहिष्णुता तो मूल स्वभाव है भारत का — Pgs. 52
9. कौन दे रहा हैअसहिष्णुता के मसले को हवा — Pgs. 58
10. जनमत यों न बने शराब के खिलाफ — Pgs. 62
11. आरक्षण का पैमाना बदलने पर बहस जरूरी — Pgs. 68
12. बिहार के बिनाभारत का विकास कैसा — Pgs. 73
13. बढ़ती आबादी का विस्फोट, कब तक सोएगा देश — Pgs. 78
14. किसने कहा बीमारू राज्य? — Pgs. 83
15. दो प्रधानमंत्री गंगा आरती और बुलेट ट्रेन — Pgs. 87
16. यों सेयूलरवादी नहीं पोंछते पीड़ितों के आँसू — Pgs. 91
17. नापाक इरादों पर रखनी होगी कड़ी नजर — Pgs. 95
18. जिद में जकड़ी संसद् — Pgs. 99
19. राजनीति की मर्यादा तार-तार करते लालू-नीतीश — Pgs. 102
20. हादसों से सबक लें — Pgs. 106
21. गंगा सफाई में मील का पत्थर — Pgs. 109
22. तो संसद् होती रहेगी बाधित — Pgs. 113
23. कब तक यह आयकर चोरी? — Pgs. 116
24. बिहार में बेहतर राजनेता के रूप में दिखे प्रधानमंत्री मोदी — Pgs. 119
25. कौन बचाएगा इनसे देश को — Pgs. 122
26. शराबबंदी पर तुरंत अमल जरूरी — Pgs. 125
27. कॉल ड्रॉप, यानी लूट-ही-लूट! — Pgs. 128
28. मोदी सरकार : बढ़ चले कदम — Pgs. 133
29. कौन खड़ा कर रहा भगत सिंह को लादेन के साथ? — Pgs. 139
30. तीस्ता के घोटाले और सेयूलरवादियों की चुप्पी — Pgs. 143
31. तो मरते रहेंगे धार्मिक आयोजनों में लोग — Pgs. 149
32. जागी मुसलमान महिलाएँ — Pgs. 152
33. मत भुलाएँ मुसहरी में जयप्रकाश को — Pgs. 157
34. राजनीति के कबीर का जाना — Pgs. 164
35. सिनेमा, साहित्य और हिंदी — Pgs. 169
36. या होगा पी.एम. के डिजिटल इंडिया के सपने का — Pgs. 173
37. गैर-भाजपावाद बनाम गैर-कांग्रेसवाद — Pgs. 177
38. ...तो श्रवण नहीं बनेगा कन्हैया — Pgs. 181
39. कब तक होगा शहीदों का अपमान — Pgs. 185
40. अब सुधरेंगे देश के बेलगाम बिल्डर — Pgs. 189
41. संघ को गंभीर मसलों पर, लें गंभीरता से — Pgs. 193
42. बजट से बदलेगी गाँवों और नौजवानों की जिंदगी — Pgs. 197
43. देश कब पहचानेगा अपने दुश्मनों को — Pgs. 201
44. तीन ऐतिहासिक दिन : 21, 22 और 23 जून — Pgs. 205
45. अमृत को विष बनाते मिलावटखोर — Pgs. 209
46. संकट में प्रवासी भारतीय मजदूर — Pgs. 213
47. इशरत जहाँ : देश की बेटी या दुश्मन — Pgs. 218
48. मधोक कैसे करीब आए बाबा साहब के — Pgs. 222
49. बिहार में मुरझाता ‘बचपन — Pgs. 226
50. तंजील अहमद की शहादत के मायने — Pgs. 230
51. किसके पोस्टर वॉय बने कन्हैया — Pgs. 234
52. यों खलनायक बनाया श्री श्री रविशंकर को — Pgs. 238
53. अखलाक, डॉ. नारंग और सेयूलर बिरादरी — Pgs. 242
54. भाजपा को गले लगाते मुसलमान — Pgs. 246
55. कश्मीर में सुरक्षा बलों के मानवाधिकार का या होगा — Pgs. 250
56. अरुंधति राय : देश विरोधी ताकतों का मोहरा — Pgs. 255
57. आमने-सामने सरकार और न्यायपालिका — Pgs. 259
58. विकास के सवालों से कन्नी काटते नीतीश-लालू — Pgs. 264
59. लालू ने पहुँचाई बिहारी जनभावना को चोट — Pgs. 268
60. भारत में सौ सिंगापुर बनाने का सपना — Pgs. 272
61. कौन बचाएगा रोगी को डॉटरों से — Pgs. 277
62. मत करो मनरेगा पर सियासत — Pgs. 282
63. मोदी की विदेशी नीति — Pgs. 285
64. ईरान यों खास है भारत के लिए — Pgs. 289
65. काले धन का बनना रोकें — Pgs. 293
66. गिरमिटिया देशों में हिंदी — Pgs. 299
राजनीतिशास्त्र से स्नातक श्री सिन्हा ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की। उन्होंने सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में संवाददाता की भूमिका निभाई। सन् 1974-75 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले छात्र आंदोलन पर ‘जन आंदोलन’ पुस्तक लिखी। उन्होंने 1974 में ‘सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज इंडिया’ की स्थापना की। एक निजी सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, यूरोप और चीन सहित कई देशों का भ्रमण किया और कई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे। 1999-2004 के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंबधन के शासनकाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान व तकनीकी एवं समुद्री विकास मंत्रालय में सुरक्षा सलाहकार रहे। बहुआयामी प्रतिभा के धनी रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने देहरादून में ‘द इंडियन पब्लिक स्कूल’ की स्थापना की। वे कई सामाजिक और कल्याणकारी संस्थाओं के अध्यक्ष हैं। फरवरी 2014 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए।