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सत्तर-अस्सी के दशक में अशोक चक्रधर का नाम बड़ी तेजी से उभरा और बड़ी जल्दी उन्होंने काव्य-जगत् में अपनी पहचान बना ली तथा मंच की लोकप्रिय कविता के नए मानक तैयार किए। देश-विदेश के हिंदी प्रेमियों के बीच उन्होंने अत्यंत स्नेह और आदर पाया। वे कवियों के कवि हैं।
डॉ. कुँअर बेचैन उनके बारे में कहते हैं—‘‘अशोक चक्रधर ऐसी आँख है, जिससे कुछ छिपता नहीं; ऐसा वृक्ष है, जिसकी छाया में विश्राम और शांति मिलती है; ऐसा दरिया है, जिसकी लहरों पर हम अपने प्रयत्नों और सपनों की नाव सरलता से तैरा सकते हैं; प्रेम का ऐसा बादल है, जो सब पर बरसता है; पसीने की ऐसी चमकदार बूँद है, जो श्रम-देवता के माथे की शोभा बढ़ाती है; ऐसी सुबह है, जिसके पास आकर नींद खुलती है; ऐसी नींद है, जो नए सपने जगाती है और ऐसा फूल है, जो हर पल महकता है, खिलता है और दूसरों के होंठों को अपनी खिलखिलाहट देता है।’’
इस संकलन में उनकी ऐसी प्रतिनिधि कविताएँ संकलित हैं, जिन्होंने कवि सम्मेलनों का मिजाज निर्धारित किया। समय आगे बढ़ता जा रहा है, लेकिन उनकी कविता के कथ्य आज भी प्रासंगिक हैं।
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अनुक्रम
1. पूँछ और मूँछ — 7
2. जंगल-गाथा — 10
3. सपनों के राजकुमारों के लिए — 19
4. बग्गा का मग्गा — 36
5. देश की कन्या — 48
6. बूढ़ा पेड़ — 55
7. कितनी रोटी — 60
8. जिज्ञासा — 62
9. डेमोवेक्तसी — 64
10. ओजोन-लेयर — 67
11. पोल-खोलक यंत्र — 76
12. कटे हाथ — 83
13. सिपाही और कविता — 92
14. बाबू मुसद्दीलाल — 102
15. नेताजी की शिकार-कथा — 108
16. गरीबदास का शून्य — 118
17. बधाई — 134
18. तमाशा — 149
19. धारा पर धारा — 162
20. बूढ़े बच्चे — 169
अशोक चक्रधर एक संजीदा समीक्षक, लेखक, फिल्मकार, प्रोफे सर और लोकप्रिय कवि हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इसलामिया में तीस बरस तक अध्यापन। अनेक वर्ष विभागाध्यक्ष रहे तथा देश में पहली बार किसी हिंदी विभाग को मीडिया अध्ययन से जोड़ा। देश-विदेश के कवि सम्मेलनों के लिए एक जरूरी कवि हैं। दूरदर्शन पर इनके साप्ताहिक कार्यक्रम ‘चले आओ चक्रधर चमन में’ ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए। विभिन्न सामाजिक समस्याओं पर इन्होंने अनेक टेलीफिल्म, धारावाहिक और वृत्तचित्र बनाए। इनकी फिल्म ‘गुलाबड़ी’ और ‘बिटिया’ परदे पर लिखी कविताओं की तरह हैं। खूब सारी कथाएँ-पटकथाएँ एवं गीत लिखे। साठ से अधिक पुस्तकों के लेखक, हिंदी पत्रकारिता में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए नियमित स्तंभ-लेखन।
राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शताधिक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित डॉ. अशोक चक्रधर भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘पद्म श्री’ सम्मान से भी अलंकृत किए जा चुके हैं।