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बेस्ट ऑफ हुल्लड़ मुरादाबादी ऐ मेरे देश के नालायक नरड़नारियो!
प्रजातंत्र की बिगड़ी हुई बीमारियो! तुम्हें शर्म नहीं आती? जरा सी महँगाई के लिए चिल्लाते हो गेहूँ चावल पाने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगाते हो अरे! मैं कहता हूँ तुम घास क्यों नहीं खाते हो?
गधे तक इसको खा रहे हैं और एक आप हैं कि शरमा रहे हैं तुम मानो या मत मानो मगर यह बात सच्ची है घास कैसी भी हो मगर आश्वासनों से अच्छी है।
—इसी संकलन से
प्रस्तुत हैं हास्य-व्यंग्य जगत् के विख्यात कवि हुल्लड़ मुरादाबादी की हुल्लड़ मचाती व्यंग्य-हास्य कविताएँ। विश्वास है, योग-प्रयोग और संयोग का यह अद्वितीय संगम सुधी पाठकों को ठहाकों और गुदगुदाहटों की त्रिवेणी में डुबकियाँ लगवाएगा।
मूल नाम : सुशील कुमार चड्ढा।
जन्म : 29 मई, 1942 को गुजराँवाला (अब पाकिस्तान में)।
प्रकाशन—‘इतनी ऊँची मत छोड़ो’, ‘क्या करेगी चाँदनी’, ‘ये अंदर की बात है’, ‘त्रिवेणी’, ‘तथाकथित भगवानों के नाम’, ‘मैं भी सोचूँ, तू भी सोच’, ‘हज्जाम की हजामत’, ‘अच्छा है पर कभी-कभी’, ‘हुल्लड़ हजारा’, ‘दमदार और दुमदार दोहे’, ‘जिगर से बीड़ी जला ले’ के अलावा दो ऑडियो कैसेट रिलीज।
विदेश यात्राएँ : अमेरिका, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हांगकांग, बैंकॉक आदि अनेक देशों में काव्य-पाठ।
सम्मान-पुरस्कार : ‘काका हाथरसी पुरस्कार’, ‘कलाश्री’, ‘अट्टहास शिखर सम्मान’, ‘महाकवि निराला सम्मान’, ‘हास्य रत्न’ तथा ‘टी.ओ.वाई.पी. पुरस्कार’। फिल्म ‘संतोष’ तथा ‘बंधन बाँहों का’ में अभिनय।