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Best of Kaka Hathrasi   

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Author Kaka Hatharasi
Features
  • ISBN : 9789355621535
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • Kaka Hatharasi
  • 9789355621535
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 176
  • Soft Cover
  • 250 Grams

Description

हास्य-ऋषि काका हाथरसी ने न केवल हिंदी कवि सम्मेलन के मंच पर हास्य को स्थापित किया, बल्कि उसको बहुत ऊँचा स्थान भी दिलाया। लोकप्रियता के शिखर पुरुष काका ने अपनी तुकांत एवं अतुकांत कविताओं के साथ अपने हास्य में जीवन की व्यापक विसंगतियों को समेटा। काकी के माध्यम से उन्होंने नारी को गरिमा प्रदान की। ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे’ या ‘लिंग भेद’ जैसी कविताएँ उनकी गहरी निरीक्षण क्षमता और खोजपूर्ण दृष्टि की परिचायक हैं।

प्रस्तुत संकलन में उनकी वे कविताएँ हैं, जो कविता प्रेमियों के हृदय-पटल पर राज करती आई हैं। यों काका की श्रेष्ठ कविताएँ एक संकलन के लिए छाँटना कठिन कार्य था, लेकिन इन कविताओं ने हास्य का इतिहास बनाया है। निर्मल हास्य द्वारा समाज में कैसे सुधार किया जा सकता है, ये कविताएँ हमें हँसाती हैं और यही सब सिखाती हैं।

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अनुक्रम
काका के कहकहे — Pgs. 5
1. गणपति बप्पा मोरिया — Pgs. 17
2. मूँछ माहात्म्य — Pgs. 19
3. दहेज की बारात — Pgs. 22
4. चुनाव-चातुर्य — Pgs. 26
5. चाय-चक्रम् — Pgs. 29
6. श्वान महान — Pgs. 32
7. न्यायालय में भष्टालय — Pgs. 33
8. चुनाव-चक्कर — Pgs. 35
9. पिल्ला — Pgs. 37
10. दाढ़ी-महिमा — Pgs. 38
11. मसूरी-यात्रा — Pgs. 40
12. ‘सु’ की सुराही — Pgs. 45
13. हिंदी बनाम अँगरेजी — Pgs. 48
14. काका की ऊँटगाड़ी — Pgs. 49
15. शिव का धनुष — Pgs. 51
16. सच्चा विद्यार्थी — Pgs. 53
17. कॉलिज स्टूडेंट — Pgs. 54
18. जम और जँवाई — Pgs. 55
19. कान महान् — Pgs. 58
20. असली और नकली — Pgs. 62
21. वर-विरोध — Pgs. 62
22. तेली कौ ब्याह — Pgs. 63
23. टिट फार टैट — Pgs. 63
24. नाम बड़े, दर्शन छोटे — Pgs. 64
25. नाम बड़े हस्ताक्षर खोटे — Pgs. 70
26. बनारसी साड़ी — Pgs. 74
27. लिंग-भेद — Pgs. 77
28. निष्काम हड़ताल — Pgs. 80
29. नेता-नीति — Pgs. 80
30. बर्थ-कंट्रोल — Pgs. 81
31. रिश्वत — Pgs. 83
32. फाइल-महिमा — Pgs. 83
33. मिलावट — Pgs. 85
34. कार-चमत्कार — Pgs. 87
35. कर्जा — Pgs. 90
36. सुपुत्र — Pgs. 90
37. चोरी की रपट — Pgs. 91
38. लोकतंत्रीय प्रेम — Pgs. 93
39. चुनाव संग्राम — Pgs. 93
40. अर्जुन उवाच — Pgs. 94
41. कृष्ण उवाच — Pgs. 95
42. अर्जुन उवाच — Pgs. 98
43. कृष्ण उवाच — Pgs. 99
44. उपसंहार — Pgs. 101
45. बेचारा अध्यापक — Pgs. 101
46. नेत्रदान — Pgs. 101
47. छात्राध्यक्ष का लक्ष्य — Pgs. 102
48. राष्ट्रीय अजगर — Pgs. 107
49. पाँच विचित्र चित्र — Pgs. 110
50. भगवान को ज्ञापन — Pgs. 112
51. विरोध-प्रदर्शन — Pgs. 116
52. यमराज पर फिल्मी जादू — Pgs. 119
53. काका की कार — Pgs. 122
54. रेलमंत्री का थर्डक्लासी स्वप्न — Pgs. 129
55. कलियुगी वंदना — Pgs. 134
56. जय बोलो बेईमान की — Pgs. 136
57. मूर्खिस्तान जिंदाबाद — Pgs. 139
58. प्रसिद्धि-प्रंग — Pgs. 142
59. लाउडस्पीकर वंदना — Pgs. 144
60. काका-काकी संवाद — Pgs. 148
61. ला-‘कर’ — Pgs. 150
62. हिप्पीवाद — Pgs. 150
63. तदबीर-तकदीर — Pgs. 150
64. चंदे के फंदे — Pgs. 152
65. मुफ्तखोर — Pgs. 154
66. कंजूस-कथा — Pgs. 157
67. स्वतंत्रता का लाभ उठाओ! — Pgs. 161
68. ‘काका’ के पद — Pgs. 164
69. नवीन प्रकाश चाहिए — Pgs. 166
70. डंडा-प्रार्थना — Pgs. 169
71. क्या चमका मेरा भाग, सखे! — Pgs. 171
72. भगवान मुझे ऐसा वर दे! — Pgs. 17

 

The Author

Kaka Hatharasi

जन्म : 18 सितंबर, 1906 को हाथरास में। काका हाथरसी का मूल नाम प्रभुलाल गर्ग था।

मात्र 29 वर्ष की अवस्था में काका की प्रथम कविता ‘गुलदस्ता’ मासिक के मुखपृष्ठ पर सन् 1933 में प्रकाशित हुई। काका ने सन् 1935 में ‘संगीत’ मासिक प्रकाशित करने की योजना बनाई।

रचना-संसार : ‘दुलत्ती’, ‘काका के कारतूस’, ‘काका के प्रहसन’, ‘काकदूत’, ‘काका की फुलझडि़याँ’, ‘काका के कहकहे’, ‘महामूर्ख सम्मेलन’, ‘काका की काकटेल’, ‘चकल्लस’, ‘काकाकोला’, ‘हँसगुल्ले’, ‘काका के धड़ाके’, ‘कहँ काका कविराय’, ‘फिल्मी सरकार’, ‘जय बोलो बेईमान की’, ‘नोकझोंक काका-काकी की’, ‘काका-काकी के लवलैटर्स’, ‘हसंत-बसंत’, ‘योगा एंड भोगा’, ‘काका की चौपाल’, ‘यार सप्तक’, ‘काका का दरबार’, ‘काका के चुटकुले’, ‘हँसी के गुब्बारे’, ‘काका तरंग’, ‘काका शतक’, ‘मेरा जीवन ः ए-वन’, ‘मीठी-मीठी हँसाइयाँ’, ‘काका की महफिल’, ‘खिलखिलाहट’, ‘काका के व्यंग्य-बाण’।

स्मृतिशेष : करोड़ों व्यक्तियों को हास्य से सराबोर करनेवाले काकाजी बड़े शांत भाव से 18 सितंबर, 1995 को हमसे बिदा हो गए; किंतु उनका लेखन हमेशा-हमेशा उनके प्रशंसकों के मन में उनकी स्मृतियाँ ताजा रखेगा।

प्रसिद्ध युवा चित्रकार शिवाशीष शर्मा की 18 पुस्तकें कार्टूंस पर तथा 3 पुस्तकें पेंसिल आरेखन पर छप चुकी हैं। इनको चित्रकला संगम नई दिल्ली द्वारा ‘वर्ष का सर्वोत्तम कार्टूनिस्ट’ का पुरस्कार सन् 2007 में मिल चुका है।

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