₹300
वरिष्ठ साहित्यकार और छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम कवयित्री के रूप में प्रतिष्ठित शकुन्तला शर्मा की यह पंद्रहवीं कृति है। ‘बेटी बचाओ’ नामक इस गीत-संग्रह में कवयित्री ने न केवल देश के विभिन्न भागों, बल्कि दुनिया के अनेक क्षेत्रों में भ्रमण के दौरान विकलांग बच्चियों की जो हालत देखी, उसे आख्यान गीतों के रूप में बड़े ही सरल, सुगम और सुबोध ढंग से प्रस्तुत किया है। उन्होंने इन गीतों में बताया है कि विकलांग बच्चियाँ भी खुद या दूसरों का, परिवार का और समाज का सहारा पाकर आगे बढ़ सकती हैं, पढ़-लिख सकती हैं और अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं तथा अपनी आजीविका अर्जित कर शान से जी सकती हैं। इस पुस्तक में 51 आख्यान गीत हैं, जो अलग-अलग बच्चियों की जिंदगी का सटीक वर्णन करते हैं। इन गीतों को पढ़कर लोगों का, समाज का विकलांगों के प्रति खासकर विकलांग बच्चियों के प्रति विचार और सोच बदलेगा तथा एक रचनात्मक समाज का निर्माण होगा, जहाँ सद्भाव, समभाव और समरसता हो, तभी यह गीत-संग्रह अपने उद्देश्य में सफल होगा, ऐसी उम्मीद है।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
आमुख — Pgs. 7
मुझे भी कुछ कहना है — Pgs. 11
भूमिका — Pgs. 13
1. तुम भी मेहनत करके देखो — Pgs. 23
2. अमर रहे यह हिंदुस्तान — Pgs. 25
3. हिंदुस्तान बहुत सुंदर है — Pgs. 27
4. बस्तर में रहती है बुधिया — Pgs. 29
5. श्रीलंका के औषधि वन में — Pgs. 31
6. हस्ताक्षर है एक प्रणम्य — Pgs. 33
7. सबके मुख पर है मुस्कान — Pgs. 35
8. रह न जाए कहीं उधार — Pgs. 37
9. केदारधाम में मैंने देखा — Pgs. 39
10. नेवता देंगे तुम भी आना — Pgs. 41
11. मेहनत का फल मीठा होता — Pgs. 43
12. दो हाथों की शति अनूठी — Pgs. 45
13. कविता से पेट नहीं भरता — Pgs. 47
14. वृंदावन में रहती राधा — Pgs. 49
15. जीवन भर तुम रखना याद — Pgs. 51
16. जो साहस से कदम बढ़ाता — Pgs. 53
17. मन भर खीर सोंहारी खाओ — Pgs. 55
18. बिन आँखों की इस बच्ची ने — Pgs. 57
19. मुझको आज समझ में आया — Pgs. 59
20. वालालंपुर में एक लड़की — Pgs. 61
21. कभी किसी पर बोझ न बनना — Pgs. 63
22. राजस्थानी वीर भूमि पर — Pgs. 65
23. केरल कितना हरा भरा है — Pgs. 67
24. प्रेम दिवस — Pgs. 69
25. अच्छा है स्वयं सुधर जाओ — Pgs. 71
26. प्रायश्चित के आँसू आए हैं — Pgs. 73
27. कत्थक योग — Pgs. 75
28. बनारसी साड़ी — Pgs. 77
29. गूँगे का गुड़ — Pgs. 79
30. उपहार — Pgs. 81
31. बेलन — Pgs. 83
32. बीहू — Pgs. 85
33. कल्हण का कश्मीर — Pgs. 87
34. नीली — Pgs. 89
35. जय-जय-जय हो हिंदुस्तान — Pgs. 91
36. शहनाई — Pgs. 93
37. मन का दीया जलाए रखना — Pgs. 95
38. देस-राग — Pgs. 96
39. जया की जीत — Pgs. 97
40. चौदह अगस्त की संध्या थी — Pgs. 99
41. दीये तुम्हारे सुंदर हैं — Pgs. 101
42. कुबूल करो मेरा नमाज — Pgs. 103
43. कुछ भी नहीं असंभव होता — Pgs. 105
44. उज्जैन में एक महिला रहती है — Pgs. 107
45. मेहँदी — Pgs. 109
46. मैं कुछ भी कर सकती हूँ — Pgs. 111
47. छासगढ़ में है एक गाँव — Pgs. 113
48. उद्यम से पारो ने पाया — Pgs. 115
49. राग-भैरवी — Pgs. 117
50. उद्यम यदि हम करें निरंतर — Pgs. 118
51. अब मौन हो गए हैं अक्षर — Pgs. 119
जन्म : कोसला, जिला-जाँजगीर-चाँपा (छ.ग.)।
शिक्षा : एम.ए. (संस्कृत, हिंदी), बी.एड., सिद्धांतालंकार, विद्यावाचस्पति (मानद)।
रचना-संसार : ‘धर्मिता’, ‘भारतवर्ष हमारा है’ (पहली कविता)। छत्तीसगढ़ी में ‘चंदा के छाँव में’; ‘कोसला’ (कविता-संग्रह); छत्तीसगढ़ में राम, शबरी वर्णन, ‘करगा’ (लघुकथा-संग्रह), ‘बूड मरय नहकौनी दय’ (गजल-संग्रह), ‘चंदन, कस तोर माटी हे’, ‘कुमारसंभव’ (महाकाव्य)। हिंदी में ‘ढाई-आखर’ (कविता-संग्रह), ‘लय’, ‘संप्रेषण’ (गीत-संग्रह); ‘इदं न मम’ (निबंध-संग्रह), ‘भारत-स्वाभिमान’ (महाकाव्य), ‘शाकुंतल’, ‘कठोपनिषद्’, ‘रघुवंश’ (महाकाव्य), ‘चाणक्य-नीति’, ‘विदुर-नीति’, ‘ऋग्वेद’ नवम एवं दशम मंडलम् का भाव-पद्यानुवाद।
सम्मान-पुरस्कार : राजभाषा प्रशस्ति-पत्र, कुँवर वीरेंद्र सिंह सम्मान, ताज-मुगलिनी सम्मान, भारती-रत्न अलंकरण, पं. माधवराव सप्रे साहित्य-सम्मान, दीपाक्षर-सम्मान, शिक्षक-सम्मान, द्विज-कुल गौरव अलंकरण, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय सम्मान, विशिष्ट-सम्मान, त्रिवेणी साहित्य-सम्मान।
संपादक : सरयू द्विज पत्रिका
संपर्क : मो. 09302830030
इ-मेल : mailtoshakun@gmail.com
ब्लॉग : shaakuntalam.blogspot.in