Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777
Menu

Beti Tu Durga Ban Jana Poems Book   

₹200

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Urvashi Agrawal ‘Urvi’
Features
  • ISBN : 9789355621955
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Urvashi Agrawal ‘Urvi’
  • 9789355621955
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2025
  • 100
  • Soft Cover
  • 100 Grams

Description

"बेटी ही मेरा सम्मान
बेटी पर हरदम कुर्बान
बेटी सबका गर्व गुमान
बेटी ही मेरा अभिमान

चाकू दो धारी बन जाना
बेटी वो आरी बन जाना
अपनी रक्षा आप करे जो
वैसी तू नारी बन जाना

दुनिया भर में घूमो बेटी
नाचो गाओ झूमो बेटी
पाँव धरातल पर ही रखना
बेशक नभ को चूमो बेटी"

The Author

Urvashi Agrawal ‘Urvi’

उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी'
बाल्यकाल से ही कविताएँ लिखने में विशेष रुचि। समय के साथ-साथ ग़ज़लें लिखने का भी अनुभव। महिला विषयों, विशेषकर उनकी विभिन्न भावनाओं को कविताओं, ग़ज़लों, दोहों और चौपाइयों के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं। हिंदी के अतिरिक्त सरैकी भाषा में भी काव्य सृजन। आकाशवाणी द्वारा आयोजित हिंदी व सरैकी के कई काव्य प्रसारणों व कविता पाठ में सम्मलित हुई हैं। अनेक टी.वी. चैनलों के कार्यक्रमों में कविताएँ व ग़ज़लें प्रस्तुत की हैं। अब तक लगभग एक हज़ार हिंदी कविताओं व पाँच सौ ग़ज़लों का सृजन। पाँच कविता व ग़ज़ल-संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं, जिनमें प्रमुख हैं खण्डकाव्य ‘व्यथा कहे पंचाली’ व दोहा संग्रह ‘मैं शबरी हूँ राम की’। दिल्ली व उसके आप-पास होने वाले कवि सम्मेलनों एवं मुशायरों में सक्रिय भागीदारी।

काव्य मंच संचालन में सिद्धहस्त एवं कई सफल कवि सम्मेलनों, काव्य गोष्ठियों का संचालन कर चुकी हैं।

संप्रति: 
वर्तमान में सुविख्यात हिंदी साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य अमृत’ की उप-संपादिका हैं।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW