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एक वास्तविक समयकाल के समांतर राजनीतिक और आर्थिक-सामाजिक परिदृश्य में स्थित यह उपन्यास, सपने की शक्ति, विश्वास की शक्ति और प्यार की शक्ति की असाधारण कहानी है। यह कहानी है गाँव के एक वंचित लड़के की, जिससे उसके सपने पूरे करने का प्रत्येक अवसर छीन लिया जाता है, लेकिन जीवन में अनेक मुश्किलों का सामना करते हुए भी वह अपने सपने का पीछा करना नहीं छोड़ता। वर्ष 1978 में उत्तर प्रदेश के एक पिछड़े गाँव में जिला कलेक्टर का दौरा गरीब, श्रमिक परिवार के ग्यारह वर्षीय गोदना को आई.ए.एस. अफसर बनने के लिए प्रेरित करता है।
क्या वह अपना सपना पूरा कर पाता है या परिस्थितियों के आगे हार मान लेता है? या फिर वह और अधिक ऊँचाइयाँ प्राप्त कर लेता है? क्या जाति आधारित आरक्षण नीतियों से उसे मदद मिलती है? क्या जाति आधारित राजनीति उसे आकर्षित कर पाती है? क्या वह अपने खिलाफ चली गईं चतुर कॉरपोरेट चालों और साजिशों का सामना कर पाता है?
राजीव सिंह 20 वर्ष से अधिक के कॉरपोरेट अनुभव के साथ सार्वजनिक क्षेत्र में इंजीनियर हैं। कई वर्षों तक कंपनी की पत्रिकाओं और जर्नल्स में तकनीकी लेख, निबंध, कविताएँ, तकनीकी राइट-अप लिखने के बाद उन्होंने अपने सपनों को पंख देने का निर्णय लिया और इस उपन्यास की रचना की। राजीव की पत्नी का नाम अलका है और उनके दो बच्चे हैं—मल्लिका और अर्जुन। लेखक तक dontdiebeforedeath@ymail.com पर मेल करके या उनकी वेबसाइट www.rajivsingh.net द्वारा पहुँचा जा सकता है।