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Bhaag Milkha Bhaag

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Author Milkha Singh
Features
  • ISBN : 9789350485118
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Milkha Singh
  • 9789350485118
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2013
  • 152
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

मेरे लिए वे (मिल्खा सिंह) हमेशा एक प्रेरणा थे, हैं, और रहेंगे।
राकेश ओमप्रकाश मेहरा
मिल्खा सिंह का जीवन दौड़, दौड़, और दौड़ से ही भरा रहा है। बँटवारे के समय मौत से बाल-बाल बचकर निकलनेवाले एक बालक ने एक युवा सैनिक रंगरूट तक का सफर तय किया और अपनी पहली तेज रफ्तार दौड़ एक दूध से भरे गिलास के लिए लगाई थी। अपनी इस पहली दौड़ के बाद मिल्खा सिंह संयोग से एथलीट बन गए और उसके बाद एक किंवदंती के रूप में हमारे सामने हैं।
इस शानदार और प्रेरक आत्मकथा में मिल्खा सिंह ने भारत के लिए राष्‍ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण जीतने, पाकिस्तान में ‘उड़नसिख’ के रूप में स्वागत की अपार खुशी और ओलंपिक खेलों में एक चूक से मिली असफलता जैसे कई अनुभव बाँटे हैं।
खेल को ही जीवन माननेवाले मिल्खा सिंह ने खेलों के तौर-तरीकों और नियम-कायदों से कभी भ्रमित नहीं हुए। ‘भाग, मिल्खा भाग’ एक बेहद सशक्‍त और पाठकों को बाँधे रखनेवाली पुस्तक है, जिसमें एक ऐसे शरणार्थी की जीवन-गाथा है जो भारतीय खेलों की महानतम हस्तियों में शुमार है।
जीवन की कठिनाइयों और हालात से कभी न हारनेवाले असाधारण व्यक्‍ति की प्रेरणादायक जीवनगाथा।

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अनुक्रमणिका

भूमिका — Pgs. 7

मेरे पिता मेरे आदर्श — Pgs. 9

आमुख — Pgs. 13

1. अविभाजित भारत में जीवन — Pgs. 17

2. भाग मिल्खा, भाग — Pgs. 23

3. जेल के दस दिन — Pgs. 30

4. सेना में मेरा जीवन — Pgs. 38

5. यह खेल नहीं था — Pgs. 46

6. भाँगड़ा से बॉलरूम डांस तक — Pgs. 52

7. मेरा ईश्वर, मेरा धर्म, मेरा परम प्रिय — Pgs. 60

8. स्वर्ण पदक के लिए जाना — Pgs. 65

9. पं. नेहरू से मुलाकात — Pgs. 76

10. कम ऑन, सिंह — Pgs. 80

11. लाइंग सिख — Pgs. 88

12. पश्चिम की यात्रा — Pgs. 94

13. बहुत नजदीक, फिर भी बहुत दूर — Pgs. 101

14. खेल से प्रशासन की ओर — Pgs. 107

15. निम्मी — Pgs. 114

16. उन्मुत पंछी और विषादपूर्ण वृक्ष — Pgs. 120

17. मेरे ताज में रत्न — Pgs. 125

18. मेरा स्वप्न — Pgs. 130

19. एक बार जो खिलाड़ी बना, वह सदा के लिए बन गया — Pgs. 135

20. खेल की राजनीति — Pgs. 144

उपसंहार — Pgs. 152

The Author

Milkha Singh

अविभाजित भारत में सन 1932 में जनमे मिल्खा सिंह का नाम भारत के प्रतिष्‍ठित धावकों में सम्मिलित किया जाता है। अपने संपूर्ण कॅरियर के दौरान सफलता प्राप्‍त करने हेतु उनका मंत्र निरंतर अभ्यास, कड़ी मेहनत, आत्मानुशासन, समर्पण व अपनी योग्यता के अनुसार सबसे बेहतर प्रदर्शन करने की लगन था। हालाँकि उन्होंने साठ के दशक के आरंभिक दौर में ही प्रतियोगितात्मक आयोजनों में भाग लेना छोड़ दिया था, लेकिन उसके बाद भी, उनका समस्त जीवन खेल के प्रति ही समर्पित रहा है। मिल्खा सिंह दिल से सदैव ही एक रूमानी व्यक्‍ति रहे हैं और अपने इसी व्यक्‍तित्व की बदौलत आज वे एक आदर्श पति, गौरवशाली पिता और एक प्यारे दादा हैं। फरहान अख्तर द्वारा अभिनीत, ‘भाग, मिल्खा भाग’ उनकी आत्मकथा पर आधारित फिल्म है, जिसमें उनके प्रारंभिक जीवन व कॅरियर को चित्रित किया गया है।

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