₹200
डॉ.रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जितने प्रखर एवं संवेदनशील राजनेता तथा प्रशासक हैं, उतने ही सफल और प्रखर कथाकार व कवि भी हैं। सच कहूँ तो डॉ. ‘निशंक’ जीवन-मूल्यों के सशक्त पक्षधर के साथ-साथ कुशल चितेरे भी हैं।
प्रस्तुत उपन्यास ‘भागोंवाली’ भी डॉ. ‘निशंक’ की शब्द-साधना का ऐसा मनोरम पुष्पगुच्छ है, जिसमें पर्वतीय समाज के साथ-साथ नारी के त्याग, समर्पण और ममत्व की नयनाभिराम झाँकियाँ देखने का सुअवसर पाठकों को मिलेगा।
समर्पित शिक्षक शास्त्रीजी की सहधर्मिणी ‘अम्माँ’ को पहाड़ के लोग इसलिए ‘भागोंवाली’ नाम से पुकारते हैं, चूँकि ‘अम्माँ’ चार-चार ‘बेटों’ की माँ है। ‘अम्माँ’ ही क्या, स्वयं शास्त्रीजी भी अपने ‘चार बेटों’ को ही अपनी सबसे बड़ी पूँजी मानकर गर्वित हैं, लेकिन दैवयोग से सबको ज्ञान देनेवाले शास्त्रीजी के अप्रत्याशित निधन के बाद ‘भागोंवाली अम्माँ’ का बँटवारा कर देनेवाले इन पुत्रों की मर्मभेदी कथा लिखकर डॉ. ‘निशंक’ ने बहुत बड़ा संदेश दिया है।
‘भागोंवाली अम्माँ’ की व्यथा-कथा घोर स्वार्थ के बीच उलझी ममता की हृदयस्पर्शी गाथा के साथ-साथ बेटों को ‘पूँजी’ माननवाले समाज के मुँह पर करारा तमाचा भी है। यह रचना कथाकार डॉ. ‘निशंक’ के हृदय का दर्पण है, जो पाठकों को भावविह्वल कर देगी और उनकी आँखों से गंगा बह निकलेगी।
—डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
पूर्व सदस्य, केंद्रीय हिंदी साहित्य अकादेमी
74/3, न्यू नेहरू नगर, रुड़की-247667
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
जन्म : वर्ष 1959
स्थान : ग्राम पिनानी, जनपद पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)।
साहित्य, संस्कृति और राजनीति में समान रूप से पकड़ रखनेवाले डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कहानी, कविता, उपन्यास, पर्यटन, तीर्थाटन, संस्मरण एवं व्यक्तित्व विकास जैसी अनेक विधाओं में अब तक पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
उनके साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, क्रिओल, स्पेनिश आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, मराठी आदि अनेक भारतीय भाषाओं में हुआ है। साथ ही उनका साहित्य देश एवं विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य हुआ तथा हो रहा है।
उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए देश के चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित। विश्व के लगभग बीस देशों में भ्रमण कर उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया। गंगा, हिमालय और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु सम्मानित।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद तथा लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति।