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"यदि हम मनुष्य को एक नैसर्गिक मशीन मान लें तो मनुष्य का फाइनल प्रोडक्ट क्या है ? उत्तर है 'विचार'। मनुष्य में विचार बनते हैं और विचार अव्यक्त तत्त्व है। अपनी विकसित तकनीकों में डूबी वर्तमान दुनिया मानसिक तनाव से जूझ रही है और मुक्ति के लिए सनातन धर्म, देवता, वैदिक जीवनशैली सहित संपूर्ण संस्कृति को समझना चाहती है। दुनिया जानती है कि अव्यक्त विचार तत्त्व को समझे बिना मानसिक शांति व संतुष्टि नहीं मिल सकती ।
इधर AI जैसी तकनीकों के भ्रमजाल में फँसी भारत की नई पीढ़ी अपनी परंपराओं से दूर भाग रही है। IIM और IIT जैसे शिक्षा केंद्रों से निकले बुद्धिजीवी अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जैसे अतिविकसित देशों को पलायन कर रहे हैं। इसकी जड़ में है भारतीय विचार की मूल अभिव्यक्ति की जटिलता और अंधविश्वासों में लिपटी धार्मिक परंपराएँ। भारत का वर्तमान अनगिनत शास्त्रों में वर्णित सनातन विचार को यथावत् मानने को तैयार नहीं है।
'भगवान् के देश का डीएनए' 17 वर्ष के लंबे शोध में सभी संभावित प्रश्नों के वैज्ञानिक उत्तर खोजने का प्रयास है। सनातन धर्म, देवता, अध्यात्म, कर्मकांड, आयुर्वेद, आर्थिक चिंतन का सारांश अर्थात् gist है। अव्यक्त भारत की अभिव्यक्ति है। सरल शब्दों में अंधविश्वासों से दूर वैज्ञानिक भारत के दर्शन कराती है।"