₹250
'माँ’ एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही मन परम तृप्ति से भर जाता है। 'माँ’ , जिसमें संपूर्ण सृष्टि का सार समाया है; 'माँ’ , जो संतान के सारे कष्ट अपने ऊपर लेकर भी उसे आश्वस्त करती है; 'माँ’ , जो सही मायनों में जीवनदान देती है और फिर शुभ संस्कार देकर जीना सिखाती है; 'माँ’ , जिसके विभिन्न रूप हमारी कल्पना से भी परे हैं। 'माँ’ एक संपूर्ण आनंददायिनी शक्ति है, जो मनुष्यमात्र के जीवन में परम चेतना का संचार करती है और यदि वह 'माँ’ दिव्य शक्ति 'शारदा माँ’ के रूप में प्रकट हो तो बात और भी अलौकिक हो जाती है।
श्रीरामकृष्ण परमहंसजी की लीला सहचरी 'माँ शारदा’ ही स्नेह से 'श्रीमाँ’ कही जाती हैं। वे अपने पति की दैवी शक्ति की ही एक अभिव्यक्ति थीं, एकरूप थीं। पति के लीला-संवरण करने के पश्चात् माँ ही शिष्यों का आधार बनीं, उनकी प्रेरणास्रोत बनीं, उनकी गुरुबनीं और 'संघमाता’ कहलाईं।
प्रस्तुत पुस्तक में माँ के ही जीवन के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत किया गया है। माँ का स्नेह शब्दों में व्यक्त नहीं होता, वह तो उनके प्रत्येक विचार, चिंतन व मुद्रा से कल-कल, छल-छल प्रवाहित होता जाता है। यद्यपि माँ के उस दिव्य रूप को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता, किंतु उनके जीवन की कुछ झाँकियाँ निश्चय ही पाठकों के लिए प्रेरक सिद्ध होंगी।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा।
रचना-संसार : जीवनी साहित्य पर बीस पुस्तकें, लगभग 45 पुस्तकों का अंग्रेजी से अनुवाद; उल्लेखनीय पुस्तकें—‘प्रयास’ (लघुकथा-संग्रह), ‘याज्ञसेनी’ (उपन्यास); क्या है विदुर नीति में, हमारे प्रेरणा-स्रोत, भारतीय संतों की अमर गाथा, गृहिणी—एक सुपर वूमन, जयंतियाँ और दिवस, विशाल भारत की लोककथाएँ, महान् भारतीय संस्कृति, विशाल भारत को जानें, विशाल भारत के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री, भक्तजननि माँ शारदा, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, भगिनी निवेदिता, मैडम भीकाजी कामा, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, शिरडी के साईं बाबा (जीवनियाँ); हिंदुत्व, पत्र और पत्रकारिता, प्रदूषण-मुक्त पर्यावरण, हिंदी पत्रकारिता, नॉस्त्रेदेमस की विचित्र भविष्यवाणियाँ, तिल रहस्य व हाव-भाव विचार (विविध विषय); रामायण व महाभारत की प्रेरक, पौराणिक व शिक्षाप्रद कथाएँ (बालोपयोगी); बीरबल, हितोपदेश, पंचतंत्र, विक्रम-बेताल श्रृंखला। नवसाक्षर बाल साहित्य, विविध पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद व संपादन। अनेक अनुवाद कार्य व पुस्तकें प्रकाशनाधीन।