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Bharat aur Europeeya Sangh : Ek Antrang Drishtikon   

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Author Bhaswati Mukherjee
Features
  • ISBN : 9789353226282
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Bhaswati Mukherjee
  • 9789353226282
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 312
  • Hard Cover

Description

एक प्रचलित मान्यता के मुताबिक भारत-यूरोपीय संघ के संबंध को ब्रिटिश प्रिज्म के जरिए बेहतर ढंग से देखा जा सकता है। यह मान्यता भारत में सिकंदर के आगमन और रोमन साम्राज्य के भारत के साथ व्यापार जैसे ऐतिहासिक प्रमाण को नजरअंदाज करती है। हाल के समय में सांस्कृतिक शख्सियत सत्यजित रे कहीं और के बजाय पेरिस में ज्यादा मशहूर हैं। यूरोपीय संघ के साथ भारत का व्यापार, विशेष रूप से रक्षा संबंधी सामानों के मामले में चैनल के इर्द-गिर्द के देशों में ही नहीं, एक हद तक पूरे महादेश में फैला हुआ है।
ब्रेक्सिट अब उस ब्रिटिश प्रिज्म को हटा लेनेवाला है। एक ताजा और कई मायनों में भारत-यूरोपीय संघ का एक नया संबंध उभरकर आने वाला है। भास्वती मुखर्जी की पुस्तक ‘भारत और यूरोपीय संघ : एक अंतरंग दृष्टिकोण’ बहुत ही सामयिक है। यह अतीत की रूपरेखा को पेश करती है, तमाम जटिलताओं के बीच संबंधों की वर्तमान स्थिति की व्याख्या करती है और भविष्यवाणी भी करती है। यह बहुत ही सफल माने जाने वाले पेशेवर द्वारा एक वस्तुपरक आकलन है, जो अतीत के संबंधों की समस्याओं पर नजर डालते हुए भारत-यूरोपीय संघ के अधिक सुदृढ़ भविष्य के मद्देनजर व्यावहारिक कदम भी है।
एक बेहतर धाराप्रवाहिका के साथ लिखा गया ‘भारत और यूरोपीय संघ : एक अंतरंग दृष्टिकोण’ के शब्दचित्र आकर्षित करते हैं, जो इसे अनूठा और निश्चित रूप से पढ़े जानेवाला बनाते हैं।

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अनुक्रम

प्रस्तावना —Pgs. 5

आभार —Pgs. 7

भारत-यूरोपीय संघ—एक जटिल एवं द्वंद्वात्मक संबंध —Pgs. 13

अंतर-देश इकाई के रूप में यूरोपीय संघ —Pgs. 26

यूरोपीय संघ के प्रिज्म के माध्यम से भारत-यूरोप संबंध —Pgs. 60

एक विशेषाधिकार साझेदारी : शिखर सम्मेलन स्तर के संवाद की स्थापना —Pgs. 78

भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी —Pgs. 96

वर्तमान चुनौतियाँ और समाधान —Pgs. 111

शिखर सम्मेलन के स्तर परिणामों की समीक्षा —Pgs. 160

तेरहवाँ शिखर सम्मेलन : निरस्तीकरण और पुनरुद्धार —Pgs. 192

भारत यूरोपीय संघ बोर्ड पर आधारित व्यापार व निवेश समझौता : समझौता मंजूर या नामंजूर? —Pgs. 211

चौदहवाँ सम्मेलन : भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों में एक मायावी नए प्रतिमान की खोज में —Pgs. 240

उपसंहार : आगे की राह —Pgs. 248

परिशिष्ट

परिशिष्ट-1 : भारत ई.यू. प्रथम सम्मेलन की संयुक्त घोषणा, जून 2000 —Pgs. 267

परिशिष्ट-2 : सीसिलिया माल्मस्ट्रॉम का श्री लैंग को पत्र, दिनांक 1 अप्रैल, 2016 —Pgs. 275

परिशिष्ट-3 : चौदहवें भारत-ई.यू. सम्मेलन का संयुक्त वक्तव्य, नई दिल्ली, 6 अक्तूबर, 2017 —Pgs. 279

परिशिष्ट-4 : आतंकवाद रोधन हेतु सहयोग पर भारत-ई.यू. का संयुक्त वक्तव्य चौदहवाँ सम्मेलन, नई दिल्ली, 6 अक्तूबर, 2017  —Pgs. 293

ग्रंथ-सूची —Pgs. 297

संदर्भिका —Pgs. 309

The Author

Bhaswati Mukherjee

भास्वती मुखर्जी
विदेश-सेवा के अधिकारी के रूप में भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों पर सबसे अधिक अनुभव रखनेवाले राजनयिकों में भास्वती मुखर्जी की एक अलग प्रतिष्ठा है। यूरोपीय संघ के मामलों में भारतीय विदेश मंत्रालय में उन्होंने विशेषज्ञता के साथ सबसे लंबे समय तक नेतृत्व किया है। इस अवधि के दौरान उन्होंने संबंधों को अधिक-से-अधिक संजीदगी और स्थिरता देने के लिए सालाना भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलनों जैसे संस्थागत संबंधों का मार्गदर्शन किया।
38 वर्ष से अधिक समय के प्रतिष्ठित कॅरियर में वे नीदरलैंड में भारतीय राजदूत होने के साथ ही पेरिस, यूनेस्को में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रही हैं। भारत की ओर से न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मिशन, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में छह साल के कार्यकाल में और जिनेवा में मानवाधिकारों के लिए पहले उच्चायुक्त के रूप में उन्होंने अपनी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता को और अधिक प्रखर किया।
बहुत कम उम्र से उन्होंने सार्वजनिक संपर्क की शुरुआत की। मिरांडा कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने पर मानवाधिकार और महिला अधिकारों के लिए तथा बाद में निरस्त्रीकरण एवं कूटनीतिक मामलों से लेकर विरासत व संस्कृति के लिए अपने जुनून को आगे बढ़ाने का उनमें भरोसा बढ़ा। इसके अलावा भास्वती मुखर्जी एक प्रशिक्षित गायिका हैं। एक बेहतरीन सार्वजनिक वक्ता के रूप में भारतीय मीडिया में वे विदेश नीति और रणनीतिक मामलों में एक प्रभावशाली आवाज रही हैं।

 

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