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हूदी और सनातन भारतीय संस्कृति की गणना विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में की जाती है। विविधता में एकता दोनों ही देशों की विशेषता रही है। दोनों ने ही दुर्दांत उपनिवेशवादी आक्रांताओं के दंश झेले हैं। अतीत में दोनों ही देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों के भी प्रमाण मिले हैं।
जब यहूदी दर-दर भटक रहे थे, भारत ने उन्हें आश्रय और घर जैसा स्नेह प्रदान किया। यहाँ के यहूदियों ने भी भारत के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। आज इजराइल भारत के एक विश्वसनीय मित्र के रूप में उभरकर सामने आया है। रक्षा, तकनीक, कृषि और विकास के कई क्षेत्रों में दोनों ही देशों ने एक दूसरे का महत्त्वपूर्ण सहयोग किया है।
राष्ट्रीय जिजीविषा का जो उदाहरण इजराइल ने प्रस्तुत किया है, वह अन्यतम है। जनसंख्या और भूमि के कलेवर में लघु होते हुए भी राष्ट्रीय चेतना की दृष्टि से इजराइल समुद्र जैसा विशाल और अनुकरणीय है। वहाँ सैन्य प्रशिक्षण सबके लिए अनिवार्य है। एक अनुशासित समाज की संरचना हेतु यह आवश्यक भी है। उसकी कहानी मध्य-पूर्व के चक्रव्यूह में घिरे एक ऐसे अभिमन्यु की कहानी है, जो इस चक्रव्यूह को सफलता के साथ भेदता भी है और जीतता भी है।
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मेजर (डॉ.) परशुराम गुप्त
जन्म : 30 अगस्त, 1953 को रायबरेली जिले के सलोन नगर में।
शिक्षा एवं दायित्व : स्नातकोत्तर (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), पी-एच.डी. (गोरखपुर विश्व विद्यालय), पूर्व प्राचार्य : गो. महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय, चौक, महाराज-गंज (उ.प्र.), पूर्व विभागाध्यक्ष एवं एसोशिएट प्रोफेसर, रक्षा अध्ययन विभाग, जवाहरलाल नेहरू स्मारक पो. ग्रे. कालेज, महाराजगंज (उत्तर प्रदेश)।
प्रकाशन : राष्ट्रीय महत्त्व की बीस पुस्तकें प्रकाशित और अनेक का लेखन अनवरत जारी।
सम्मान : दो बार रक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित, शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु दैनिक जागरण और भोजपुरी परिवार मस्कट, ओमान द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु सम्मानित, महानिदेशक, राष्ट्रीय कैडेट कोर द्वारा सम्मानित, भारत के मान. राष्ट्रपति (भारत सरकार) द्वारा राष्ट्रीय कैडेट कोर में प्रशंसनीय सेवा हेतु इसी कोर में ‘मेजर’ के अवैतनिक रैंक से सम्मानित, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, द्वारा ‘कबीर सम्मान’ से सम्मानित, उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु जिलाधिकारी द्वारा सम्मानित।