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Bharat Ka Raag, America Ke Rang   

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Author Dr. Hari Joshi
Features
  • ISBN : 9789386870292
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Dr. Hari Joshi
  • 9789386870292
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 192
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

एक दिन दुनिया के दोनों सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देशों में अपनी-अपनी महानता को लेकर बहस हो गई। अमेरिका कहने लगा, ‘‘बड़े-बड़े आतंकी मुझसे घबराते हैं। दुनिया मेरा लोहा मानती है। अतः मैं तुझसे बड़ा हूँ।’’ भारत ने अपनी मूँछ मरोड़ते हुए कहा, ‘‘मैं तेरे बड़प्पन को नहीं मानता। तू हमारे सामने टिकता कहाँ है? तू अपनी मूँछें मेरे सामने ऊँची भी मत रखना; हाँ, मैं भी तुझसे कम नहीं हूँ।’’
‘‘मेरी नाक पर यदि पानी नहीं ठहरता तो इसमें गलत क्या है? मेरे आस-पास समुद्र लहरा रहा है। अतः पानीदार कौन हुआ—तू कि मैं? अच्छा यह भी बता, बड़ा जमींदार कौन है?’’
‘‘मेरी सहायता के लिए भी हिंद महासागर, अरब सागर, खंबात की खाड़ी आदि खड़े हैं, मैं भी कम पानीदार नहीं हूँ। वैसे तुझे बता दूँ, राजे-रजवाड़ों-जमींदारों का समय चला गया है, वैश्विक स्तर पर सभ्यता बढ़ी है। अब एकतंत्र में या तानाशाही में किसी का विश्वास नहीं रहा।’’
‘‘एकतंत्र में या तानाशाही में तो हमारा विश्वास भी नहीं है? हमारी भूमि पर भी चुनाव होते हैं। हम भी बुलेट में नहीं, बैलेट में भरोसा रखते हैं।’’ अमेरिका ने कहा।
‘‘बुलेट का भय बताकर ही तो तू दुनिया पर अपना सिक्का जमाता और स्वयं को बड़ा बताता है। देश के प्रत्येक नागरिक को बैलट प्राप्त हो या नहीं, किंतु बुलेट अवश्य दे रखी है। वह भी एक नहीं, मशीनगन, स्टेनगन आदि कई-कई गोलियों से युक्त।’’ भारत ने कहा।
प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. हरि जोशी का नवीनतम व्यंग्य उपन्यास, जिसमें अपनी चुटीली शैली में अमेरिका की दादागिरि और चौधराहट पर मारक चोट दी है और उसकी सारी हेठी हवा कर दी है।

 

The Author

Dr. Hari Joshi

जन्म : 17 नवंबर, 1943 को ग्राम खूदिया (सिराली), जिला हरदा (म.प्र.) में।
शिक्षा : एम.टेक. (इंजीनियरिंग मेटीरियल्स), पी-एच.डी. (रेफ्रीजेरेशन)।
प्रकाशन : ‘पँखुरियाँ’, ‘यंत्रयुग’, ‘River and other poems’ (U.S.) (कविता संग्रह); ‘अखाड़ों का देश’, ‘रिहर्सल जारी है’, ‘व्यंग्य के रंग’, ‘भेड़ की नियति’, ‘आशा है सानंद हैं’, ‘पैसे को कैसे लुढ़का लें’, ‘सारी बातें काँटे की’, ‘आदमी अठन्नी रह गया’, ‘मेरी श्रेष्‍ठ व्यंग्य रचनाएँ’, ‘नेता निर्माण उद्योग’, ‘किस्से रईसों के’, ‘My Sweet Seventeen’ (व्यंग्य संग्रह); ‘पगडंडियाँ’, ‘महागुरु’, ‘वर्दी’, ‘टोपी टाइम्स’ (उपन्यास); ‘पनहियाँ पीछे पड़ीं’, ‘किस्से-नवाबों-रईसों के’, ‘यंत्र सप्‍तक में सम्मिलित’ (अन्य रचनाएँ); ‘How to ruin your love life’ (अनुवाद) के अलावा प्रतिष्‍ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित एवं आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से प्रसारित।
सम्मान : ‘व्यंग्य के रंग’ पर म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन का ‘वागीश्‍वरी सम्मान’, म.प्र. लेखक संघ का ‘व्यंग्य सम्मान’, ‘व्यंग्य श्री’, ‘साहित्य मनीषी’’ सम्मान, ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ आदि।
संप्रति : सेवानिवृत्त प्राध्यापक, मेकैनिकल इंजीनियरिंग (म.प्र.) शासन।

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