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★ ‘भारत का संविधान’ हिंदी में सरलीकृत रूप में प्रस्तुत है। यहाँ तक कि भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत स्वरूप को भी और सहज बना दिया गया है, ताकि विद्यार्थीगण, प्रतियोगितात्मक परीक्षा के अभ्यर्थी तथा संविधान के अध्येता इसे आसानी से हृदयंगम कर सकें। ★ पुस्तक के बीच-बीच में महत्त्वपूर्ण विषयों अथवा संबंधित जानकारी को बॉक्स में रखा गया है जिससे सरसरी दृष्टि से भी भारत के संविधान का सारतत्त्व ग्रहण किया जा सके।
★ संविधान भारत की आत्मा है। संविधान के आधार पर देश की शासन-व्यवस्था संचालित होती है तथा न्यायपालिका यह देखती है कि संविधान का उल्लंघन न हो। पर संविधान के मूल अंश के साथ यह भी कम महत्त्वशाली नहीं है कि संविधान के कार्यान्वयन के पीछे कौन-कौन से अधिनियम, संवैधानिक हस्तियाँ या व्यक्ति थे।
★ इन सभी का सुंदर समन्वय इस पुस्तक में किया गया है, ताकि छात्रों के साथ-साथ आम पाठक भी भारतीय संविधान के बारे में आधारभूत जानकारी प्राप्त कर सके। आशा है कि ‘भारत के संविधान’ का इस रूप में स्वागत होगा।
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल
बरुआसागर, जिला-झाँसी (उत्तर प्रदेश) में जन्मे डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल हिंदी के प्रख्यात उपन्यासकार, कहानीकार एवं लेखक हैं। अभी तक डॉ. अग्रवाल की हिंदी और अंग्रेजी में पैंसठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी भारतीय वाङ्मय पर अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं—‘रामचरितमानस-नाट्य रूप’, ‘मैं राम बोल रहा हूँ’, ‘भगवद्गीता : नाट्य रूप’, ‘राधा की पाती : कृष्ण के नाम’ और ‘संजय-धृतराष्ट्र संवाद’। डॉ. अग्रवाल का कृतित्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा सम्मानित हो चुका है। भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् संप्रति साहित्य के माध्यम से समाज-सेवा में समर्पित हैं।