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संविधान का राष्ट्रीय लोक-विमर्श आज भी लगभग पूरी तरह अंग्रेजी भाषा का मुखापेक्षी है। इस विमर्श में आम आदमी की छवि एवं उनके सरोकार तो नजर आते हैं, किंतु आम आदमी की भाषा सुनाई नहीं देती। इस ग्रंथ में हिंदी में विवेकसंगत एवं संतुलित संविधान-विमर्श के साथ ही आम आदमी की समझ में आनेवाली भाषा प्रयोग की गई है। संविधान-रचना की पृष्ठभूमि और व्याख्या की दृष्टि से यह ग्रंथ हिंदी भाषा में संविधान-साहित्य को एक अमूल्य और बेजोड़ उपहार है।
प्रस्तुत ग्रंथ में संविधान के विविध पक्षों पर सरल एवं सुबोध भाषा में प्रकाश डाला गया है। इसमें संविधान के उलझे हुए प्रश्नों के विवेचन के साथ-साथ संविधान के विषयों का अनुच्छेद-आधारित उल्लेख भी है। संविधान की रचना की पृष्ठभूमि देते हुए बताया गया है कि कई ‘अर्धवैधानिक’ नियम भी संविधान एवं शासन प्रबंध की व्यावहारिकता में महत्त्वपूर्ण होते हैं। उन सबको लेकर एक सांगोपांग एवं सर्वतोमुखी संवैधानिक विवेचन इस ग्रंथ में समाविष्ट है, जिसमें इतिहास है, राजनीति है, समाजशास्त्र है।
इस ग्रंथ की विशेषता है कि यह सरल, सुबोध एवं सुव्यवस्थित होने के साथ-साथ अध्ययनशील स्पष्टता, प्रामाणिकता एवं गुणवत्ता से भी संपन्न है। —डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी
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विषय-सूची
दो शब्द—5
पुरोवाक्—7
1. संविधान-रचना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि—13
2. भारतीय संविधान-सभा—38
3. संविधान-रचना की प्रक्रिया—47
4. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ —57
5. भारतीय संविधान की प्रकृति—67
6. उद्देशिका —73
7. संघ और उसका राज्यक्षेत्र—85
8. नागरिकता —94
9. मौलिक अधिकार —101
10. राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व—123
11. मूल कर्तव्य—133
12. संघीय कार्यपालिका—140
13. भारतीय संसद् —168
14. संघ की न्यायपालिका—201
15. राज्य की कार्यपालिका—212
16. राज्य की न्यायपालिका—228
17. संघ राज्य-क्षेत्र—237
18. पंचायतें—239
19. नगरपालिकाएँ—243
20. संघ और राज्य के बीच संबंध—246
21. संघ एवं राज्यों के अधीन सेवाएँ—256
22. कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध—261
23. समस्या राजभाषा की—265
24. आपात उपबंध—270
25. संविधान का संशोधन—274
26. विभिन्न आयोग—279
27. जम्मू एवं कश्मीर की शासन-व्यवस्था—287
28. संविधान समीक्षा आयोग : एक दृष्टि में—290
29. क्रमवार संविधान संशोधन—294
परिशिष्ट-1
अनुच्छेदवार संविधान का विषय निरूपण—312
परिशिष्ट-2
भारत के उपप्रधानमंत्री—338
परिशिष्ट-3
पदेन वरीयता अनुक्रम —339
परिशिष्ट-4
महिलाओं हेतु प्रमुख संवैधानिक प्रावधान —340
परिशिष्ट-5
महिलाओं से संबंधित प्रमुख अधिनियम —341
परिशिष्ट-6
बालकों हेतु प्रमुख संवैधानिक प्रावधान —343
परिशिष्ट-7
बालकों से संबंधित प्रमुख अधिनियम —344
परिशिष्ट-8
अल्पसंख्यक हेतु संवैधानिक प्रावधान —345
परिशिष्ट-9
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान —346
परिशिष्ट-10
भारतीय संविधान एवं विकलांगों के अधिकार —349
परिशिष्ट-11
संसद् में बजट —351
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल
बरुआसागर, जिला-झाँसी (उत्तर प्रदेश) में जन्मे डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल हिंदी के प्रख्यात उपन्यासकार, कहानीकार एवं लेखक हैं। अभी तक डॉ. अग्रवाल की हिंदी और अंग्रेजी में पैंसठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी भारतीय वाङ्मय पर अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं—‘रामचरितमानस-नाट्य रूप’, ‘मैं राम बोल रहा हूँ’, ‘भगवद्गीता : नाट्य रूप’, ‘राधा की पाती : कृष्ण के नाम’ और ‘संजय-धृतराष्ट्र संवाद’। डॉ. अग्रवाल का कृतित्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा सम्मानित हो चुका है। भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् संप्रति साहित्य के माध्यम से समाज-सेवा में समर्पित हैं।