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2014 की लोकसभा में चुनावी विजय के बाद भाजपा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक-के-बाद एक विधानसभा चुनावों में विजयश्री प्राप्त की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी की अप्रतिम रणनीतियों ने 2019 के लोकसभा चुनावों में अभूतपूर्व जीत का मार्ग प्रशस्त किया। इस जीत ने सबके मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न की कि ऐसा संभव कैसे हो पाया।
भारतीय जनता पार्टी ने बहुत चतुराई के साथ अपनी बनिया-ब्राह्मण वाली पार्टी की छवि तोड़ने की योजना पर काम किया। गरीब और गरीबी के जरिए भाजपा और नरेंद्र मोदी की रणनीति गरीबों के हिमायती होने का वही टैग हासिल करने की बनी, जो कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ जुड़ा था। इसमें नोटबंदी का फैसला सबसे अहम था। इस फैसले में बड़ा जोखिम भी था। लेकिन इसके बाद के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई, पार्टी ने जाति की बजाय वर्ग की राजनीति को प्राथमिकता दी। उत्तर प्रदेश में अमित शाह ने जिस तरह से सामाजिक समीकरण का जाल बिछाया था, वह बाद में अन्य चुनावों के लिए मॉडल बन गया। लेकिन बड़ी जीत के बाद भी उन राज्यों में विस्तार की योजना को थमने नहीं दिया, जहाँ पार्टी 2014 में भी कमजोर थी।
यह पुस्तक भाजपा की तमाम चुनावी रणनीतियों का खुलासा करती है, जो सांगठनिक प्रक्रिया में सर्कुलर खबरों के लिए नहीं आ पाते, वे संयोगवश लेखक को मिल गए और जिससे भी साझा किया, उसे यही कहना पड़ा—यह भाजपा की माइक्रो नहीं नैनो स्ट्रैटजी है।
प्रखर पत्रकार संतोष कुमार ने अपनी स्वभावजनित जिज्ञासा के आधार पर विश्लेषण करके यह पुस्तक लिखी है।
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अनुक्रम
प्राक्कथन —Pgs.9
लेखक की कलम से... 13
आभार —Pgs.23
खंड-1 समर्थक बने कार्यकर्ता
1. मिशन शाह (2014-2019) —Pgs.29
2. सीधी जीत : उलझी हार —Pgs.38
3. पूर्वोत्तर से पलटी बाजी —Pgs.43
4. नारों की जुबानी —Pgs.48
5. नया कलेवर : जीते वोटर —Pgs.53
खंड-2 विस्तार की रणनीति
6. मिशन उत्तर प्रदेश —Pgs.65
7. तट के कोलंबस —Pgs.74
8. बड़ी जीत की पटकथा —Pgs.78
9. त्रिशूल —Pgs.86
10. डिजिटल स्ट्राइक —Pgs.102
खंड-3 दलित दुविधा और नरम हिंदुत्व
11. आरक्षण की उलझन —Pgs.113
12. मुद्दों की आजमाइश —Pgs.123
13. हार में जीत —Pgs.129
खंड-4 महारणनीति
14. बूथ जीता, चुनाव जीता —Pgs.135
15. आखिरी साल की तैयारी —Pgs.139
16. सीधा संवाद —Pgs.145
17. सत्ते पे सत्ता —Pgs.150
खंड-5 महाभियान
18. बज उठी रणभेरी —Pgs.155
19. मोर्चे पर महारथी —Pgs.170
20. हुंकार-2019 —Pgs.172
खंड-6 महायुद्ध
21. पुलवामा से बालाकोट —Pgs.181
22. राष्ट्रवाद —Pgs.185
23. मोदी ही मोदी —Pgs.194
24. बाहुबली की दस्तक —Pgs.202
25. रैलियों की बिसात —Pgs.217
खंड-7 चुनावी चक्रव्यूह
26. चरणों में चुनाव —Pgs.223
27. अबकी बार 300 पार —Pgs.235
28. विपक्ष का वॉकओवर —Pgs.241
खंड-8 महाविजय
29. 23 मई, 2019 —Pgs.247
30. न्यू इंडिया —Pgs.261
31. मोदी 2024 —Pgs.268
दो दशक से भाजपा और संघ परिवार पर पैनी निगाह रखनेवाले संतोष कुमार को पत्रकारिता में देश का सबसे प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवार्ड और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का सर्वश्रेष्ठ राजा राममोहन राय अवार्ड उनकी खोजपरक रिपोर्टों के लिए मिल चुका है।
इसके अलावा आधा दर्जन पुरस्कारों से सम्मानित कुमार वर्तमान में दैनिक भास्कर में डिप्टी एडिटर हैं। इससे पहले वे इंडिया टुडे और दैनिक नवज्योति में काम कर चुके हैं। अन्य पुरस्कारों में जोधपुर के मेहरानगढ़ किला ट्रस्ट का वीर दुर्गादास राठौड़ स्मृति पुरस्कार, इंडिया टुडे चेयरमैन अवार्ड, यंग जर्नलिस्ट अवार्ड प्रमुख हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) से स्वास्थ्य क्षेत्र में काम के लिए यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज पर फेलोशिप मिल चुका है।
बिहार के सुदूर ग्रामीण जिले मधुबनी के देवधा गाँव में जन्मे और प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। जवाहर नवोदय विद्यालय से हायर सेकेंडरी की शिक्षा पूरी की। दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रैजुएशन डिप्लोमा किया।
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