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विश्वप्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉण्ड का भारत के बारे में कहना है कि मेरे मन में बसनेवाला भारत वह नहीं है, जो हमेशा चर्चा में रहता है। मेरे मन में बसनेवाला भारत वह है, जिसमें आम जनों का सद्भाव और हास्य वृत्ति है, सभी के रीति-रिवाजों के प्रति सहिष्णुता की भावना है, दूसरों के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप न करने का स्वभाव है, आपसी भाईचारे की भावना है, मुश्किलों को स्वीकार करने की एक दार्शनिक प्रवृत्ति है, प्रेम और स्नेह है—खासकर बच्चों में।
लेखों और कविताओं के इस संग्रह से पाठकों को पता चलेगा कि यहाँ के लोगों, यहाँ के स्थानों और यहाँ की विभिन्न वस्तुओं के लिए मेरे मन में क्या भावना है। इन भावनाओं में से कुछ तो मेरे बचपन से जुड़ी हैं और कुछ वर्तमान से।
बालपन की मस्ती, उल्लास और उल्हड़ता से भरपूर ये रचनाएँ आपको भी अपना बचपन याद दिला देंगी, हमारा अटल विश्वास है।
जन्म 19 मई, 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था। बचपन में ही मलेरिया से इनके पिता की मृत्यु हो गई, तत्पश्चात् इनका पालन-पोषण शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून तथा लंदन में हुआ। इनकी रचनाओं में हिमालय की गोद में बसे छोटे शहरों के जन-जीवन की छाप स्पष्ट है। इक्कीस वर्ष की आयु में ही इनका पहला उपन्यास ‘द रूम ऑन रूफ’ (The Room on Roof) प्रकाशित हुआ। इसमें इनके और इनके मित्र के देहरा में रहते हुए बिताए गए अनुभवों का लेखा-जोखा है। भारतीय लेखकों में बॉण्ड विशिष्ट स्थान रखते हैं। उपन्यास तथा बाल साहित्य की इनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुई हैं। साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने 1999 में इन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया।