₹400
"भारतीय संस्कृति बड़ी समृद्ध है । यह अपने आप में असीम सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक धरोहर को समेटे हुए है। विज्ञान की लगभग सभी शाखाएँ गणित पर ही आधारित हैं । इतिहासकारों ने सिद्ध किया है कि सर्वप्रथम गणित का जन्म भारत में ही हुआ। शून्य, पाई (π) तथा दशमलव प्रणाली भारत ने ही दुनिया कोदी है।
जिस समय पाश्चात्य देश अज्ञान के अंधकार में डूबे थे, उस समय भारत में ज्ञान-विज्ञान का चहुँमुखी विकास हो रहा था। हड़प्पा के निवासी नाप-तौल की अनेक प्रणालियों, स्केल्स आदि का प्रयोग करते थे। शनै:-शने गणित के विकास ने गति पकड़ी और कालांतर में यही ज्ञान भारत से अरब और यूरोपीय देशों में पहुँचा।
प्रस्तुत पुस्तक में भारत के महान् गणिततज्ञों-बोधायन, पाणिनि, कात्यायन, भास्कर, वराहमिहिर, आर्यभट, महेंद्र सूरी, परमेश्वर तथा रामानुजन इत्यादि के जीवन-चरित्र के साथ-साथ उनकी खोजों एवं उपलब्धियों का सांगोपांग वर्णन सीधी-सरल भाषा में किया गया है।
इसके अध्ययन से विद्यार्थी, शोधार्थी, गणितज्ञ, यंत्रविद् ही नहीं, आम जन भी अपनी सांस्कृतिक-वैज्ञानिक थाती से परिचित हो अपना ज्ञानवर्द्धन करेंगे।"
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य। हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैंमध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।
जन्म : 21 अप्रैल, 1970 को खंडवा (म.प्र.) में।
शिक्षा : एम.एस-सी., जेनेटिक्स (भोपाल विश्वविद्यालय), बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से आनुवंशिकी में डॉक्टरेट की उपाधि।
कृतित्व : राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों में शोधपत्र प्रस्तुत। दो पुस्तकें, पाँच शोधपत्र तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक विषयों पर आलेख प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन (भोपाल) पर वैज्ञानिक विषयों का प्रसारण। बायोटेक्नोलॉजी की प्रवक्ता रहीं।
पुरस्कार-सम्मान : वैज्ञानिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए सन् 1997 में ज्ञान-विज्ञान समिति, सतना (म.प्र.) द्वारा ‘समता महिला सम्मान’ से सम्मानित।
संप्रति : स्वतंत्र-लेखन; समसामयिक वैज्ञानिक विषयों पर पुस्तकों एवं आलेखों द्वारा जनमानस में विज्ञान के प्रचार में संलग्न।