₹225
प्रस्तुत पुस्तक भारत की लोक-संस्कृति के विविध पक्षों को उद्घाटित करती है। इसमें भारत के राज्यों/क्षेत्रों की लोक-संस्कृति का सूक्ष्म व विश्लेषणपरक विवरण प्रस्तुत किया गया है। सर्वविदित है कि भारतीय संस्कृति बहुरंगी, बहुरूपी और बहुपक्षीय है। इसलिए यह पुस्तक विभिन्न लोक-संस्कृतियों का सतरंगी समुच्चय है। विज्ञ लेखकों ने भारतीय संस्कृति के बहुपक्षीय आयामों को सहज व सरल शैली में प्रस्तुत किया है।
हमें पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक सिविल सेवा परीक्षाओं तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अवश्य ही उपयोगी होगी। इसके अतिरिक्त यह सामान्य पाठकों के लिए भी एक संग्रहणीय पुस्तक है।
पुस्तक की विशेषताएँ
कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारतीय-संस्कृति का विवरण
यथास्थान चित्रों का प्रयोग
सरल व प्रवाहमयी भाषा
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विषय-सूची
संपादकीय — Pgs. vvi
1 भारतीय संस्कृति में लोक की प्रतिष्ठा — Pgs. 1-4
2 संस्कृति के रचनात्मक घटक — Pgs. 5-8
3 भारतीय कला और संस्कृति — Pgs. 9-16
4 भारतीय संस्कृति लोक-संस्कृति में जीवंत है — Pgs. 17-20
5 लोकगाथा — Pgs. 21-23
6 लोक-संस्कृति में विज्ञान — Pgs. 24-27
7 भारतीय लघु चित्रांकन में लोकचित्रा — Pgs. 28-33
8 लोक-संस्कृति : तत्त्व और तंत्र — Pgs. 34-38
9 ब्रज की लोक-संस्कृति — Pgs. 39-41
10 अवधी लोक-संस्कृति : एक झाँकी — Pgs. 42-47
11 बुंदेली लोक-संस्कृति : एक दृष्टि — Pgs. 48-53
12 कन्नौजी लोक-संस्कृति — Pgs. 54-56
13 पंजाब की लोक-संस्कृति — Pgs. 57-59
14 हिमाचल प्रदेश की लोक-संस्कृति — Pgs. 60-67
15 हरियावी लोक-संस्कृति : एक झलक — Pgs. 68-72
16 जम्मू-कश्मीर की लोक-संस्कृति — Pgs. 73-77
17 कुमाऊँ लोक-संस्कृति : एक अवलोकन — Pgs. 78-83
18 गढ़वाली लोक-संस्कृति : एक अवलोकन — Pgs. 84-86
19 भोजपुरी लोक-संस्कृति — Pgs. 87-91
20 मैथिली लोक-संस्कृति : एक परिचय — Pgs. 92-93
21 झारखंड की लोक-संस्कृति — Pgs. 94-96
22 राजस्थानी लोक-संस्कृति — Pgs. 97-101
23 गुजराती लोक-संस्कृति — Pgs. 102-105
24 महाराष्ट्र की लोक-संस्कृति — Pgs. 106-109
25 बँगला लोक-संस्कृति — Pgs. 110-113
26 उत्कल का लोक-सांस्कृतिक वैभव — Pgs. 114-119
27 मध्य प्रदेश की लोक-संस्कृति — Pgs. 120-125
28 तमिल लोक-संस्कृति : एक दृष्टि — Pgs. 126-132
29 तेलुगु लोक-संस्कृति : एक दृष्टि — Pgs. 133-140
30 कन्नड़ लोक-संस्कृति : एक दृष्टि र्र्त्त्त्त्त्र् 141-145
31 केरल की लोक-संस्कृति — Pgs. 146-151
32 असमिया लोक-संस्कृति : एक झलक — Pgs. 152-155
33 अराचल की लोक-संस्कृति — Pgs. 156-160
34 सिक्किम की लोक-सांस्कृतिक समरसता — Pgs. 161-165
35 मेघालय की लोक-सांस्कृतिक विरासत — Pgs. 166-172
36 मिजो लोक-संस्कृति : एक विहंगम दृष्टि — Pgs. 173-180
37 नागा लोक-संस्कृति : एक परिचय — Pgs. 181-184
38 त्रिपुरा की जमातिया जनजातीय लोक-संस्कृति — Pgs. 185-188
39 गोवा की लोक-संस्कृति — Pgs. 189-192
40 अंडमान तथा निकोबार की लोक-संस्कृति — Pgs. 193-196
41 ‘रवांई’ में सरनौल का पांडव नृत्य — Pgs. 197-199
42 राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध लोक-वाद्ययंत्र — Pgs. 200-203
43 बंगाल का लोक साहित्य : कथाएं और गीत संगीत — Pgs. 204-206
44 मालवी लोकगीतों में राम-कथा — Pgs. 207-209
45 घुमन्तू जाति देवार और उनका वाचिक साहित्य — Pgs. 210-213
46 सतपुड़ा का पवारी लोक-साहित्य : एक परिचय — Pgs. 214-215
पुस्तक के लेखक — Pgs. 217-220
हेमंत कुकरेती एक प्रतिष्ठित कवि। पाँच कविता-संग्रह, आलोचना की चार पुस्तकें, हिंदी साहित्य का इतिहास और अनेक विश्वविद्यालय स्तरीय पाठ्य-पुस्तकों का लेखन व संपादन। पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक की चर्चित पाठ्य-पुस्तक शृंखला ‘ज्ञानोदय’ का संपादन। ‘भारत भूषण सम्मान’, ‘कृति सम्मान’, ‘केदार सम्मान’ से सम्मानित। पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं के अलावा समीक्षात्मक टिप्पणियाँ प्रकाशित। कला-संस्कृति-फिल्म और रंगमंच पर नियमित लेखन। आकाशवाणी-दूरदर्शन के लिए रचनात्मक कार्य। अनेक कविताएँ भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनूदित; कविताओं पर आलोचना एवं शोधकार्य हो रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर श्यामलाल कॉलेज से संबद्ध। ‘साहित्य अमृत’ के संयुक्त संपादक।