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एकात्म मानवदर्शन और अंत्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि हमारी सोच और हमारे सिद्धांत हैं कि असहाय और अशिक्षित लोग हमारे भगवान हैं। हम सभी का यह सामाजिक और मानवीय धर्म है कि इन वंचितों का उत्कर्ष हो। इसी विराट विचार को आत्मसात् कर जन-कल्याण के लिए उपयोगी कार्यों की प्रेरणा हमें पं. दीनदयालजी से मिलती है। भारत-दर्शन का मूल विचार पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के उदय से है। इस कार्य को पूर्ण करने में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पडे़गा। मगर भारत के पूर्ण विकास की कल्पना और सार्थकता इसी अंत्योदय विचार से की जा सकती है।
अंत्योदय से राष्ट्रोदय की संकल्पना को मूर्तरूप प्रदान करती हमारी वैचारिक भावभूमि ही भारत के कल्याण और विकास की अभिलाषा को संतुष्ट करने के क्रम में अनवरत कर्मशील है। गरीबी के बारे में दीनदयालजी का विचार था—राष्ट्र की रक्षा के लिए हर व्यक्ति को न्यूनतम जीवन स्तर, जैसे उसके मौलिक अधिकार, भोजन, कपड़ा, मकान, दवाई, शिक्षा और उसकी सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा का आश्वासन सरकारों द्वारा उन्हें प्रदान किया जाना चाहिए।
यह पुस्तक देश के विकास में हर वर्ग की भागीदारी तय कर राष्ट्र-निर्माण का मार्ग प्रशस्त करनेवाली चिंतनपरक है।
डॉ. सरवन सिंह बघेल ‘श्रवण’
अनेक सामाजिक-राजनीतिक संगठनों से संबद्ध। राजनीतिक विश्लेषक के रूप में सतत शोध कार्य।
Youtube पर Dr Sarvan Baghel नाम से मोटिवेशनल प्रोग्राम-चैनल। Life संस्था के संस्थापक सदस्य।
शोध कार्य : गरीब कल्याण में दीनदयालजी द्वारा सृजित अंत्योदय और एकात्म मानववाद विचार की सामाजिक और राजनीतिक भूमिका, AUS।
परास्नातक : राजनीति शास्त्र, AUS परास्नातकः वाणिज्य शास्त्र- व्यावसायिक अर्थशास्त्र, Dr.B.R.A.., आगरा।
पुस्तकें : ‘भारतीय मनीषियों की प्रेरक भूमिका’, ‘भारत की सर्वांगीण उन्नति का मंत्र : अंत्योदय’ एवं ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय : जीवन दर्शन एवं एकात्म मानवदर्शन का रेखांकन’।
अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेख और शोध प्रतिवेदनों की शृंखला प्रकाशित।
संप्रति : लेखन, प्रेरक भाषण, यात्रा-दर्शन, राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में कार्य। वर्तमान में भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय में कार्यरत।
इ-मेल : sarvanbaghel00@gmail.com