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एक सभ्यता के नजरिए से भले ही डेढ़ सौ वर्षों की अवधि छोटी लग सकती है, लेकिन जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो दंग रह जाते हैं कि इन डेढ़ सौ वर्षों में हमारे देश को कितने नाटकीय परिवर्तन से होकर गुजरना पड़ा है! इस पुस्तक में इतिहास के ऐसे ही उत्थान-पतन, विजय और त्रासदी को समेटने का प्रयास किया गया है।
इस पुस्तक में डेढ़ सौ वर्षों के यादगार लम्हों को प्रस्तुत किया गया है। पाठकों का परिचय ऐसे किरदारों से होगा, जिन्होंने हमारे देश का निर्माण किया। विश्वकप क्रिकेट की विजय से लेकर आर्थिक उदारीकरण तक, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन तक तमाम मील के पत्थरों को इस पुस्तक में समेटा गया है|
डॉ. मनीषा माथुर वर्तमान में कनोडि़या पी.जी. महिला महाविद्यालय, जयपुर में लोक प्रशासन विभाग की प्रमुख तथा सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा एवं पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर विगत 17 वर्षों से लोक प्रशासन के अध्यापन से जुड़ी हुई हैं। पुस्तकों के अतिरिक्त विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके लेखादि प्रकाशित
होते रहते हैं। भारतीय प्रशासन, संसद्, संघवाद एवं पंचायती राज के अतिरिक्त साहित्य तथा इतिहास में इनकी विशेष अभिरुचि है।