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सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में हुआ। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध विद्वान् तथा माँ कवयित्री थीं और बँगला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि होने के कारण उन्होंने 12 वर्ष की छोटी उम्र में 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और 13 वर्ष की उम्र में ‘लेडी ऑफ द लेक’ कविता रची। सन् 1895 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे इंग्लैंड चली गईं।
सन् 1898 में सरोजिनी नायडू डॉ. गोविंदराजुलु नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। सन् 1914 में इंग्लैंड में वे पहली बार गांधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गईं। स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के कारण सन् 1925 में कानपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षा बनीं और 1932 में भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गईं। भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वे उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं। श्रीमती एनी बेसेंट की प्रिय मित्र और गांधीजी की इस प्रिय शिष्या ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया। 2 मार्च, 1949 को उनका देहांत हुआ।
‘स्वर कोकिला’ के नाम से विख्यात महान् नेत्री सरोजिनी नायडू की प्रेरणाप्रद जीवन-गाथा।
जन्म : 30 सितंबर, 1985 को रोहतक (हरियाणा) में।
शिक्षा : स्नातक, फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा, मार्केटिंग में मास्टर्स ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन।
कृतित्व : उच्च कोटि की विदुषी; हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में भी महारत। विगत दो वर्षों से लेखन में संलग्न। पुस्तकों का स्वतंत्र लेखन तथा संपादन। अंग्रेजी से हिंदी भाषा में अनेक पुस्तकों का अनुवाद। प्रवीण कुमार भल्ला के साथ पुस्तकों का लेखन तथा संपादन। नेत्रहीनों की गैर-सरकारी संस्था के लिए अवैतनिक कार्य।
संप्रति : एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत; स्वतंत्र लेखिका, संपादिका व अनुवादिका।