Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Bharat Mein Prashasanik Seva Pareekshayen : Mithak evam Yatharth(PB)   

₹350

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Devender Singh
Features
  • ISBN : 9789353229450
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Devender Singh
  • 9789353229450
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 216
  • Soft Cover
  • 300 Grams

Description

भारत में प्रशासनिक सेवाएँ देश की व्यवस्था की धुरी हैं, क्योंकि देश की 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या को सुशासन प्रदान करने की कड़ी चुनौती इनके समक्ष है। इस हेतु योग्य उम्मीदवारों के चयन की कई स्तर की प्रणालियाँ हैं, यथा—संघ लोक सेवा आयोग, राज्यों के लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग आदि, परंतु विगत कुछ वर्षों से इन चयन प्रणालियों पर कई गंभीर प्रश्न खड़े हुए हैं। सिविल सेवा परीक्षा में भाषाई भेदभाव को लेकर छात्रों को सड़क से संसद् तक आंदोलन करना पड़ा, एस.एस.सी. परीक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार की सी.बी.आई. जाँच हेतु छात्रों ने संघर्ष किया। राज्य लोक सेवा आयोगों की स्थिति यह हो चली है कि सौ प्रश्नों के सही उत्तर तक छात्र न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़कर प्राप्त करते हैं। परीक्षा आयोजन को लेकर संघर्ष, सही परिणाम को लेकर जद्दोजहद, यहाँ तक कि नियुक्ति हेतु फिर एक और आंदोलन। क्या देश की प्रतिभाओं की यही नियति है? क्या ये परीक्षाएँ वास्तव में प्रतियोगिता हैं? क्यों इन प्रणालियों के विरुद्ध दिन-रात कड़ी मेहनत करनेवाले छात्रों को आंदोलन करना पड़ता है? क्या यही संविधान प्रदत्त अवसर की समानता है?
देश की व्यवस्था से जुड़े इन गंभीर प्रश्नों पर समग्र चिंतन कर देश के समक्ष परीक्षण की इन स्थितियों को स्पष्ट करने का एक विनीत प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया गया है, ताकि इन व्यवस्थाओं में व्याप्त विसंगतियाँ राष्ट्र के समक्ष आएँ, इन पर राष्ट्रव्यापी विमर्श प्रारंभ हो एवं इनमें सुधार का मार्ग प्रशस्त हो सके।

 

___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

शुभकामनाएँ—Pgs. 7

प्रस्तावना—Pgs. 9

मनोगत—Pgs. 13

आत्म-निवेदन—Pgs. 17

कृतज्ञता ज्ञापन—Pgs. 21

1. प्रशासनिक सेवाओं का इतिहास—Pgs. 25

2. सिविल सेवा परीक्षा में सुधार हेतु गठित समितियाँ—Pgs. 33

3. सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा की समस्याएँ—Pgs. 64

4. मुख्य परीक्षा की समस्याएँ—Pgs. 86

5. साक्षात्कार की समस्याएँ—Pgs. 98

6. अनुवाद या अपराध—Pgs. 107

7. पारदर्शिता—Pgs. 115

8. राज्य प्रशासनिक सेवाएँ ः आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता—Pgs. 126

9. व्यापक भर्ती वाली परीक्षाएँ (SSC, बैंकिंग, रेलवे)—Pgs. 173

10. सिविल सेवा परीक्षा पर आयोजित प्रथम राष्ट्रीय कार्यशाला—Pgs. 198

11. एक विनम्र निवेदन—Pgs. 204

संदर्भ स‍्रोत—Pgs. 205

The Author

Devender Singh

मूलतः राजस्थान के निवासी देवेंद्र सिंह ने अपनी अधिकांश विद्यालयी शिक्षा विद्या भारती से ग्रहण की। इसके बाद सूचना प्रौद्योगिकी में बी.टेक. की पढ़ाई की। तत्पश्चात् विधि का अध्ययन किया एवं एल-एल.बी. तथा एल-एल.एम. की उपाधि ग्रहण की। अध्ययन के दौरान ही प्रतियोगी परीक्षाओं में व्याप्त विसंगतियों के प्रति मुखर रहे। इसके बाद वर्ष 2014 में सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय भाषाओं के प्रति हो रहे भेदभाव के विरुद्ध हुए आंदोलन में पूरी तरह सक्रिय होकर महती भूमिका निभाई। तब से देश में आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा प्रणालियों में व्याप्त विसंगतियों को सभी के सामने लाकर उनमें सुधार हेतु कृत-संकल्प हैं। साथ ही देश में आयोजित प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं पर शोध भी कर रहे हैं। वर्तमान में वह ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ की शाखा प्रकल्प : प्रतियोगी परीक्षा के राष्ट्रीय संयोजक के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।

 

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW