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संभवत: प्राथमिक शिक्षा पर यह पहली पुस्तक है, जिसमें इसके विविध पक्षों पर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में तथा शैक्षिक समितियों और आयोगों की संस्तुतियों के संदर्भ में प्रकाश डाला गया है । स्वतंत्रता के पश्चात् प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में विकास की गति अधिक तीव्र रही है और उसमें कुछ मूलभूत परिवर्तन किए गए हैं । इन सबका समावेश इस पुस्तक में है । ' सभी के लिए प्राथमिक शिक्षा ' के लक्ष्य की प्राप्ति में जो-जो कठिनाइयाँ आ रही हैं, उनका सविस्तार विवेचन करके उनको दूर करने के लिए ठोस सुझाव भी प्रस्तुत हैं ।
देश-विदेश में सूचना तथा तकनीकी में जो ' विस्फोट ' हुआ है, उसके परिणामस्वरूप कई प्रकार के जो नए प्रयास प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे हैं, उनका संक्षिप्त विवरण यहाँ दिया गया है । इस बात का भरसक प्रयत्न किया गया है कि पुस्तक में नवीनतम शैक्षिक आँकड़े तथा तथ्य दिए जाएँ । आकड़ों का मुख्य स्रोत मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार की वार्षिक रिपोर्टें हैं ।
यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित ' भारतीय राज्यों की प्रगति- 1995 ', ' राष्ट्रों की प्रगति- 1994, 1995, 1996, 1997 ' तथा ' दुनिया के बच्चों की स्थिति- 1996, 1997, 1998 ' में दिए गए तथ्यों एवं ओंकड़ों का प्रयोग इस पुस्तक में किया गया है । आशा है कि यह पुस्तक प्राथमिक शिक्षा में रुचि रखनेवाले विभिन्न वर्गों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी ।
शैक्षणिक विषयों पर सशक्त -प्रबुद्ध लेखन के लिए श्री जगदीश चंद्र अग्रवाल एक सुपरिचित नाम है । उन्होंने बी. ए. ( ऑनर्स), एम.ए. ( इतिहास, अर्थशास्त्र) तथा बी.टी. करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. एड. किया और केंद्रीय शिक्षा संस्थान, दिल्ली से ' एज्यूकेशनल एंड वोकेशनल गाइडेंस डिप्लोमा ' किया । शौक्षिक, प्रशासन तथा निरीक्षण के विस्तृत एवं गहन अध्ययन के लिए विशेष छात्रवृत्ति पर बर्मिंघम विश्वविद्यालय गए । वहाँ यू. के. की स्कूल स्तर की प्रमुख शिक्षा संस्थाओं की कार्य - प्रणाली का बारीकी से अध्ययन किया । बाद में कुछ समय स्नातकोत्तर शिक्षण - प्रशिक्षण में भी बिताया ।
शिक्षा निदेशालय, दिल्ली में शिक्षा आधिकारी, सहायक शिक्षा निदेशक, शिक्षा सलाहकार, दिल्ली पुलिस, उप-शिक्षा निदेशक आदि पदों पर लगभग तीस वर्षों तक कार्य किया ।
अग्रवालजी ने अनेक शौक्षिक गोष्ठियों का आयोजन किया है और शिक्षा के विभिन्न पक्षों पर लगभग सौ पुस्तकें लिखी हैं ।