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प्रस्तुत पुस्तक में प्रौढ़ शिक्षा की समीक्षा अंग्रेजी शासनकाल से लेकर वर्तमान काल तक की गई है; परंतु वर्तमान पर विशेष ध्यान दिया गया है ।
प्रौढ़ शिक्षा पर गठित समितियों तथा विशेषज्ञ दलों की संस्तुतियों का विश्लेषण भी किया गया है ।
प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में चलाई जानेवाली शैक्षिक योजनाओं के विस्तृत विवरण का इसमें समावेश है ।
प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए ठोस सुझाव पुस्तक की उपयोगिता को बढ़ाते हैं ।
नवीनतम आँकड़े एवं तथ्य मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, शिक्षा विभाग के प्रकाशनों, विशेषकर 1996 - 97 की वार्षिक रिपोर्ट से लिये गए हैं, जो कि इस पुस्तक की प्रामाणिकता तथा उपयोगिता में वृद्धि करते हैं ।
विश्व में प्रौढ़ शिक्षा की स्थिति के बारे में दिए गए आँकड़े यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित पुस्तकों ' राष्ट्रों की प्रगति- 1997 ' तथा ' संसार में बच्चों की स्थिति- 1998 ' से लिये गए हैं ।
प्रस्तुत पुस्तक में लगभग एक सौ नब्बे देशों के प्रौढ़ शिक्षा संबंधी तुलनात्मक आकड़े सम्मिलित हैं, जो कि विषय के विस्तृत और गहन अध्ययन में बहुत उपयोगी हैं ।
आशा है कि यह पुस्तक प्रौढ़ शिक्षा में रुचि रखनेवाले सभी वर्गों के लिए लाभदायक सिद्ध होगी ।
शैक्षणिक विषयों पर सशक्त -प्रबुद्ध लेखन के लिए श्री जगदीश चंद्र अग्रवाल एक सुपरिचित नाम है । उन्होंने बी. ए. ( ऑनर्स), एम.ए. ( इतिहास, अर्थशास्त्र) तथा बी.टी. करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. एड. किया और केंद्रीय शिक्षा संस्थान, दिल्ली से ' एज्यूकेशनल एंड वोकेशनल गाइडेंस डिप्लोमा ' किया । शौक्षिक, प्रशासन तथा निरीक्षण के विस्तृत एवं गहन अध्ययन के लिए विशेष छात्रवृत्ति पर बर्मिंघम विश्वविद्यालय गए । वहाँ यू. के. की स्कूल स्तर की प्रमुख शिक्षा संस्थाओं की कार्य - प्रणाली का बारीकी से अध्ययन किया । बाद में कुछ समय स्नातकोत्तर शिक्षण - प्रशिक्षण में भी बिताया ।
शिक्षा निदेशालय, दिल्ली में शिक्षा आधिकारी, सहायक शिक्षा निदेशक, शिक्षा सलाहकार, दिल्ली पुलिस, उप-शिक्षा निदेशक आदि पदों पर लगभग तीस वर्षों तक कार्य किया ।
अग्रवालजी ने अनेक शौक्षिक गोष्ठियों का आयोजन किया है और शिक्षा के विभिन्न पक्षों पर लगभग सौ पुस्तकें लिखी हैं ।