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Bharat Mujhmein Basta Hai   

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Author Aradhana Jha Shrivastava
Features
  • ISBN : 9789392013553
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Aradhana Jha Shrivastava
  • 9789392013553
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 303
  • Soft Cover
  • 300 Grams

Description

"भारत मुझमें बसता है', निजता से सामूहिकता का विस्तार लिये भावों की अभिव्यक्ति है। ये भाव जब भाषिक ढाँचे में ढलकर कागज पर उतरते हैं तो सामूहिक संवेदना का स्वर बन जाते हैं। कविता एक स्त्री की भाँति अपने गर्भ में सृजन का बीज लिये रहती है, जिसमें निहित होती हैं अनंत संभावनाएँ और असीम संवेदनाएँ। भारत केंद्रित प्रवासी- लेखन को गृहातुरता की श्रेणी में रखने वालों के लिए यह समझना आवश्यक है कि जिस माटी में हमने जन्म लिया और पोषित हुए, उस काया में पल रही संवेदनाओं की प्राथमिक और प्रमुख पृष्ठभूमि भारत का होना स्वाभाविक ही है।

रोजगार के प्रयोजन से महानगरों और देश की सीमाओं से सुदूर किसी विदेशी धरती पर प्रवास कर रही संतान अपने घर के आँगन की रस्सी पर मन की भीगी चादर को टँगा हुआ छोड़ आती है। माँ- बाबूजी की याद आते ही हम आँगन में रखी चारपाई पर उस चादर को बिछाकर लेट जाते हैं। उस समय हमारी आँखें भविष्य का स्वप्न नहीं देखतीं। उनमें चलायमान होते हैं स्मृतियों के चलचित्र, जहाँ हमारा अल्हड़ बचपन माँ के आँचल में लुकाछिपी का खेल खेलता खिलखिला रहा होता है। बाबूजी के कंधों पर चढ़कर भीड़ से अलग और ऊँचा दिखने की अकड़ में तनकर इतरा रहा होता है।

मेरी धमनी में, मेरी नस-नस में, गंगधार बन, जो बहता है।

मैं जाऊँ जहाँ, जहाँ भी रहूँ, इक भारत मुझमें बसता है।"

The Author

Aradhana Jha Shrivastava

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