₹300
भरतखंड का इतिहास ऐसी अनेक महान् नारियों की गौरवपूर्ण गाथाओं से भरा पड़ा है, जिन्होंने न केवल ज्ञानी, कर्मठ, वीर और महान् सपूतों को अपने गर्भ से जन्म दिया है, बल्कि उन्होंने स्वयं भी कर्तव्यपरायणता, वीरता एवं महानता के अनेक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। इस पुस्तक के संपादन के लिए भारत के वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्ध हजारों स्त्रियों में से कुछ ऐसी महिलाओं का चुनाव किया गया है, जिन्होंने भारतीय जनमानस पर दूरगामी प्रभाव डाला है। यह एक अकाट्य सत्य है कि जगद्जननी माता लक्ष्मी के मानवीय अवतार माता सीता ने हर भारतीय स्त्री के मानस पर अपना कभी न मिटनेवाला प्रभाव छोड़ा है। लेखक ने माता सीता के चरित्र-चित्रण से इस पुस्तक का शुभारंभ इस सोच के साथ किया है कि हर भारतीय नारी आगे भी उनसे अवश्य प्रेरणा प्राप्त करती रहेगी।
देश की उन चुनिंदा महान् स्त्री विभूतियों, जिन्होंने भारत को सांस्कृतिक मूल्यों से भरपूर एक समृद्ध, स्वतंत्र तथा महान् शक्तिशाली लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने में अपना सकारात्मक योगदान दिया है, उनके जीवन-चरित्र और उनकी उपलब्धियों के बारे में जानते हैं
ब्रिगेडियर (डॉ.) भुवनेश चौधरी (सेवानिवृत्त)
इस पुस्तक के संपादक और लेखक भारतीय सेना की चिकित्सा कोर में 32 वर्षों से अधिक समय तक सेवाएँ देने के पश्चात् ब्रिगेडियर के पद से सेवानिवृत्त डॉ. भुवनेश चौधरी, एम.बी.बी.एस., एम.डी. (सामाजिक भेषज विज्ञान), एम.बी.ए. (अस्पताल प्रबंधन), वर्तमान में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद्, ब्रजप्रांत के अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे हैं। डॉ. भुवनेश को अपनी स्वर्गीय माता की स्मृति, मातृभूमि और मातृभाषा से अटूट प्यार है तथा यह पुस्तक उनके उसी प्यार की अभिव्यक्ति मात्र है। मातृभाषा हिंदी में पढ़ना और लिखना लेखक का शौक ही नहीं, बल्कि एक जुनून है।
लेखक नोएडा स्थित अस्पताल प्रबंधन अकादमी में अल्पकालिक शिक्षक के तौर पर भी कार्यरत हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से संबद्ध सरकारी अस्पतालों की गुणवत्ता परीक्षण करनेवाले संस्थान एन.एच.एस.आर.सी. में राष्ट्रीय परीक्षक के तौर पर कार्यरत होने के साथ ही एक कुशल लेखक तथा उसी संस्थान की अपील समिति के सदस्य की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं।