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Bharat-Pak Sambandh   

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Author J N Dixit
Features
  • ISBN : 9789352664009
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • J N Dixit
  • 9789352664009
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 536
  • Hard Cover

Description

भारत-पाकिस्तान संबंधों के बारे में कुछ अनुमान अकसर लगाए जाते हैं-पहला, भारत व पाकिस्तान में आम लोग एक- दूसरे के संपर्क में आना चाहते हैं, लेकिन सरकारें इसे रोकती हैं; दूसरा, भारतीयों और पाकिस्तानियों की नई पीढ़ी पुराने पूर्वाग्रहों को तोड़ सकती है; तीसरा, सांस्कृतिक व बौद्धिक संपर्क के समर्थन से सामान्य आर्थिक व तकनीकी सहयोग आपसी संबंधों में सुधार ला सकता है ।
यह पुस्तक इन अनुमानों की उपयुक्‍तता की जाँच करने का महत् प्रयास करती है । अब तक विभाजन की यादें धुँधली होती नहीं दिखीं, न ही पूर्वग्रहों से मुक्‍त‌ि मिली है । पाकिस्तान भारत के साथ आर्थिक संबंधो के बारे में गंभीर आशंकाओं से ग्रस्त है, क्योंकि उसे डर है कि एक बड़े पड़ोसी द्वारा उसका शोषण किया जा सकता है और उसे दबाया जा सकता है । यह अनुमान लगाना तार्किक होगा कि सूचना-क्रांति तथा आर्थिक भूमंडलीकरण पाकिस्तान और भारत को अपनी प्रवृत्तियाँ व नीतियों बदलने के लिए विवश कर सकते हैं ।
किंतु ये पूर्वानुमान 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमले के बाद नाटकीय तरीके से बदल गए । दो माह बाद भारतीय संसद् पर आक्रमण के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव चरम सीमा पर पहुँच गया । अब जनरल मुशर्रफ एक दुविधापूर्ण स्थिति में हैं । यदि उन्हें सत्ता में रहना है तो वह अपने देश में इसलामी कट्टरपंथियों का एक सीमा से अधिक विरोध नहीं कर सकते । दूसरी ओर, उन्हें धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद से खुद को अलग करने के अमेरिका के नेतृत्ववाले अंतरराष्‍ट्रीय दबाव का ध्यान भी रखना है । अत: प्रतीत होता है, भारत-पाकिस्तान संबंध एक और जबरदस्त घुमाववाले मोड़ पर पहुँच चुके हैं ।
-ड्सी पुस्तक से

The Author

J N Dixit

जे.एन. दीक्षित का जन्म चेन्नई (मद्रास) में हुआ था । आपके माता-पिता स्वतंत्रता सेनानी थे, इस कारण से पूरे परिवार को देश के अलग- अलग भागों में रहना पड़ता था; अत: आपने देश के अनेक भागों में शिक्षा प्राप्‍त की । आपकी स्नातकोत्तर शिक्षा दिल्ली में पूरी हुई । आपके अध्ययन के विषय ' अंतरराष्‍ट्रीय विधि ' तथा ' अंतरराष्‍ट्रीय संबंध ' थे । आप सन् 1958 से 1994 तक भारतीय विदेश सेवा में सेवारत रहे । अपने इस कार्यकाल में आपने दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, पश्‍च‌िमी यूरोप तथा जापान आदि में भारतीय दूतावासों में उच्च पदों पर कार्य किया ।
भूटान, बँगलादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका तथा पाकिस्तान में आपने भारत के प्रमुख राजनयिक के रूप में कार्य किया । इसके अतिरिक्‍त विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में भी सेवा की ।
आप विदेश मामलों पर देशी-विदेशी टेलीविजन चैनलों के लोकप्रिय विश्‍लेषक भी हैं । आप विदेश नीति, सुरक्षा, शस्त्र नियंत्रण व निरस्त्रीकरण पर लगभग पंद्रह सौ लेख और आठ पुस्तकें लिख चुके हैं । आप भारतीय विदेश सेवा संस्थान में शिक्षण कार्य करते हैं और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में अतिथि प्रोफेसर भी हैं । आप यूनाइटेड सर्विसेस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया, दिल्ली पॉलिसी ग्रुप एवं नेहरू स्मारक संग्रहालय व पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद् के वरिष्‍ठ सदस्य हैं ।

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