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इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में भारत ने विकास दर की जिस द्रुत गति को प्राप्त किया था, 2014 आते-आते वह उसमें काफी पिछड़ गया। ऐसी आवश्यकता महसूस की गई कि इस स्थिति को पलटने के लिए नई दिल्ली को विभिन्न प्रकार के विषयों पर अपने नीति संबंधी विकल्पों पर गंभीर चिंतन करना चाहिए।
‘भारत वापस पटरी पर’ काफी हद तक 2014 के आम चुनावों के समय लिखी गई, जब आम जनता के बीच यह चर्चा हो रही थी कि हमारे देश को उच्च विकास के पथ पर फिर से लाने के लिए अगली सरकार को किस प्रकार के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख सेक्टर में नीतियों की सिफारिश के लिए यह भारत के कुछ सबसे कुशल विश्लेषकों को एक मंच पर लेकर आया है। यहाँ सबको मिलाकर संक्षिप्त सुझावों के साथ नीति निर्माताओं और आम लोगों के सामने भारत के भविष्य के लिए एक स्पष्ट खाका पेश किया गया है।
कुल मिलाकर यह पुस्तक आशावाद जाग्रत् करती है कि विषमताओं को दूर करके ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र को हृदयंगम कर दूरदर्शी, कठोर व व्यावहारिक निर्णय लेकर वर्तमान केंद्र सरकार ने विकास की पटरी पर भारत को वापस ला खड़ा किया है।
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अनुक्रम
भूमिका — 5
आभारोक्ति — 7
परिचय : अधूरा काम पूरा करना बड़े से छोटे दृष्टिकोण —एशले जे. टेलिस — 9
1. व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखना —इला पटनायक — 35
2. कल्याणकारी राज्य का निराकरण —सुरजीत भल्ला — 45
3. कृषि एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार —अशोक गुलाटी — 57
4. विनिर्माण नीति की समीक्षा —राजीव कुमार — 72
5. रोजगार सृजन —ओंकार गोस्वामी — 86
6. शिक्षा एवं कौशल का विस्तार —लवीश भंडारी — 99
7. स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना —ए.के. शिव कुमार — 112
8. परिवहन के बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण —राजीव लाल एवं ऋतु आनंद — 123
9. शहरीकरण का प्रबंधन —सौमिक लाल एवं तारा विश्वनाथ — 136
10. भूमि प्रबंधन का नवीनीकरण —बरुन एस. मित्रा और मधुमिता डी. मित्रा — 153
11. जल प्रबंधन की व्याख्या —तुषार शाह और शिल्प वर्मा — 165
12. ऊर्जा नीति और मूल्य निर्धारण में सुधार —सुंजॉय जोशी — 184
13. पर्यावरण का प्रबंधन —लिगिया नोरोन्हा — 201
14. कानून के शासन का सशक्तीकरण —देवेश कपूर और मिलन वैष्णव — 216
15. प्रशासनिक घाटे में सुधार —विवेक देवराय — 230
16. उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी क्षमता का निर्माण —रविंद्र पाल सिंह — 242
17. विदेश नीति का कायाकल्प —सी. राजा मोहन — 255
कंट्रीब्यूटर्स — 266
रीस ट्रेवर कारनेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के साउथ एशिया प्रोग्राम में शोध सहायक हैं। जूनियर फेलो के रूप में वे दक्षिण एशियाई सुरक्षा तथा अमेरिकी व्यापक रणनीति पर कार्यरत रहे। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो से ऑनर्स के साथ अपनी बैचलर डिग्री पूरी की।
विवेक देवराय प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं और वर्तमान में प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के अध्यक्ष तथा भारत सरकार के नीति आयोग के सदस्य हैं। विगत लगभग चालीस वर्षों में उन्होंने देश के शीर्ष, आर्थिक, राजनीतिक व वित्तीय संस्थानों में कार्य किया और अपनी दक्षता से उनकी विकासगाथा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अनेक पुस्तकों का लेखन/संपादन किया है। उनके शोधपत्र तथा लोकप्रिय आलेख अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। वे अनेक समाचार-पत्रों के सलाहकार संपादक भी हैं।
एशले जे. टेलिस कारनेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में वरिष्ठ सहयोगी हैं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा तथा एशियाई रणनीतिक विषयों पर गहरी पकड़ है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय में राजनीतिक मामलों के उप-विदेश मंत्री के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए वह भारत के साथ नागरिक परमाणु समझौते की बातचीत के साथ करीब से जुड़े थे। अमेरिकी विदेश सेवा से जुड़े रहे टेलिस कुशल रणनीतिकार हैं।