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वरिष्ठ इनकम टैक्स प्रैक्टिशनर मिलिंद संगोराम की यह पुस्तक है भारत पर पिछले डेढ़ सौ वर्षों से राज करनेवाले इनकम टैक्स के कानून की कहानी। परंतु इसके बावजूद यह आयकर विधान का उबाऊ इतिहास बिल्कुल नहीं है, बल्कि इस बात का वर्णन है कि कोई एक कानून किस प्रकार बड़ा होता गया। प्रारंभ के ब्रिटिशकालीन जेम्स विल्सन, जेरेमी रैसमन से होते हुए स्वतंत्र भारत के सी.डी. देशमुख, यशवंतराव चव्हाण और अब तक के मनमोहन सिंह, प्रणव मुखर्जी एवं अरुण जेटली जैसे प्रतिभावान् वित्त मंत्री इस कहानी के कथानायक रहे हैं। इसी कारण यह इतिहास एक रोचक कथा-कथन बन गया। साथ ही आयकर के जन्म ने बढ़ने-पनपने के इस दौर में उसके इर्द-गिर्द, चहुँओर घड़ी-घड़ी घटित होती रही राजनीतिक सरगर्मियों की भी यह एक रोमांच-गाथा ही है।
यह पुस्तक है आमजन को भारतीय आयकर से परिचित कराने की और उसे दायित्वबोध कराने की कि आयकर जमा करके हम राष्ट्रनिर्माण के अपने दायित्व का ही निर्वहण कर रहे हैं।
मिलिंद संगोराम सफल एवं प्रसिद्ध व्यावसायिक चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। लंबे समय तक पुणे में पै्रक्टिस की।
अनेक संस्थाओं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ऑडिटर और सलाहकार रहे।
अनेक प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों और नियतकालिकाओं में प्राप्ति-कर संबंधी विषयों पर लिखते रहे।
स्मृतिशेष : 17 जनवरी, 2015