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भारतीय सभ्यता और संस्कृति के -बहु- विस्तृत वितान को समझना, परखना और उसका अवलोकन करना आसान कार्य नहीं है । प्रकृति का कण -कण, पेड़-पौधे, शिलाखंड, धूल-मिट्टी, जल- थल-सभी अपने एक-एक अणु में, साक्षी रूप में भारत की वैभवपूर्ण संस्कृति के स्मृति अंशों को सहेजे -समेटे हैं ।
प्राचीन साहित्य भारतीय संस्कृति की बहुमूल्य निधियों में है । इसमें वेद, पुराण, ब्राह्मण, उपनिषद् सांख्य, स्मृति, भाष्य, रामायण, महाभारत, गीता एवं अन्य साहित्यिक आख्यायिकाएँ हैं । ये अमूल्य निधियाँ विश्वगुरु होने की क्षमता रखनेवाले भारत का भान कराती हैं ।
इस पुस्तक में भारतीय संस्कृति से संबंधित रीति-रिवाजों, लोक-परंपराओं, प्रतीक-चिह्नों तथा भारतीय धर्म, दर्शन, साहित्य, पुरातत्त्व, इतिहास, कला आदि का सारगर्भित और रोचक वर्णन है । अपनी थाती को परखकर अपनाने का आह्वान ही इस पुस्तक का उद्देश्य है ।
यह पुस्तक प्रत्येक भारतवासी का उसकी अनमोल सांस्कृतिक विरासत से पुन : परिचय कराकर उसमें नए उत्साह और स्वाभिमान का संचार करेगी ।
शिक्षा : एम. ए., पी - एच. डी. ।
प्रकाशन : राष्ट्रीय स्तर के अनेक' पत्र - पत्रिकाओं, जैसे - राष्ट्रीय सहारा नवभारत टाइम्स, समकालीन साहित्य, इंद्रप्रस्थ भारती आदि में तीन सौ से अधिक लेख, कविताएँ और कहानियाँ प्रकाशित ।
अन्य : आकाशवाणी दिल्ली एवं पत्र सूचना कार्यालय ( भारत सरकार) के लिए लेखन । हिंदू विश्वकोश (Encyclopaedia of Hinduism) में आलेख ।
संप्रति : स्वतंत्र लेखन एवं पत्रकारिता।