Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Bharatiya Kala Darshan   

₹300

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Shashiprabha Tiwari
Features
  • ISBN : 9789352665556
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Shashiprabha Tiwari
  • 9789352665556
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 160
  • Hard Cover
  • 200 Grams

Description

भारत की कला बहुत गहराइयों में ले जाती है। आदमी गहराइयों में उतरता चला जाता है, यह भारतीय कला की विशेषता है। भारत की कला भारतीय संस्कृति की वाहिका है। कला संस्कृति को लेकर चलती है। हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही खड़ा हो जाता है कि कला जिस संस्कृति को लेकर चलती है, वह संस्कृति क्या है? अंग्रेजी में हम लोग उसको कल्चर कहते हैं। कल्चर और संस्कृति दोनों समानार्थी नहीं हैं।
संस्कृति अलग चीज है। संस्कृति का केंद्रबिंदु अलग है। संस्कृति का केंद्रबिंदु जो है, वह भारत में अध्यात्म है। भारत की संस्कृति अध्यात्म को लेकर चलती है।

__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

प्रस्तावना : संस्कृति नैमिषेय एक समेकित प्रयास — 9

भूमिका — 13

1. दिव्य नैमिषारण्य तीर्थ — नारायण दत्त शर्मा — 19

2. भारतीय कला और संस्कृति — डॉ. कृष्ण गोपाल — 29

3. संस्कार से संस्कृति की ओर — शेखर सेन — 50

4. कला का भारतीय दर्शन — डॉ. एस.आर. रामास्वामी — 54

5. नैमिषारण्य तीर्थ एवं उसकी परंपरा — प्रो. भगवत् शरण शुक्ल — 63

6. सामाजिक व्यवस्था के निर्माण व संचालन में कला की भूमिका — संतोष तनेजा — 73

7. लोक-संस्कृति : मानव-संस्कृति — श्यामसुंदर दुबे — 79

8. सांस्कृतिक वाटिका में शास्त्रीय नृत्य के पुष्प — शशिप्रभा तिवारी — 84

9. कलाओं में भारतीय दर्शन — c. गिरीश ठाकर — 97

10. भारतीय तंत्राधारित चित्राभिव्यक्तियाँ : एक परिचय — डॉ. भारत भूषण — 104

11. भारतीय कला दर्शन और चाक्षुषकला — श्याम शर्मा — 112

12. भारतीय दर्शन से अनुप्राणित भवाई लोकनाट्य — डॉ. बलवंत जानी — 117

13. ऋग्वेद काल में श्रीगंगा —

आचार्य भागीरथप्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ — 122

14. संस्कृति-अजस्र राग ध​र्मिता — ऋता शुक्ल — 127

15. कला में अमरत्व का स्पर्श होता है — अमृतलाल वेगड़ — 131

16. राष्ट्रीय एवं सामाजिक चुनौतियों के समाधान में कला की भूमिका — डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह — 139

17. प्राचीन भारत में शब्दसंक्षेप कला का निरूपण  — आचार्य भागीरथप्रसाद त्रिपाठी ‘वागरीश शास्त्री’ — 146

18. चुनौतियों के समाधान में कलाश्री की भूमिका — अयोध्या प्रसाद गुप्त ‘कुमुद’ — 151

 

The Author

Shashiprabha Tiwari

शशिप्रभा तिवारी
शिक्षा : राँची विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर, पत्रकारिता स्नातक।
कृतित्व : जनसत्ता तथा हिंदुस्तान में सृजनात्मक एवं विश्लेषणात्मक लेखन। पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के लिए अनेक बार प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ वार्त्ताओं का प्रस्तुतीकरण। विभिन्न चैनलों में समय-समय पर सांस्कृतिक विषयों पर बातचीत में सहभागिता। नई दिल्ली राज्य हिंदी अकादमी के सहयोग से कविताओं का एक संकलन ‘पंख’ प्रकाशित।
विश्व ख्याति के लोगों के साक्षात्कार, जिसमें पं. बिरजू महाराज, पं. रविशंकर, पं. शिवकुमार शर्मा, पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. जसराज, विदुषी किशोरी अमोणकर, पं. छन्नूलाल मिश्र, उस्ताद अमजद अली खाँ आदि प्रमुख हैं।
सम्मान : सृजन सक्रियता के लिए राजीव रत्न सद्भाव सम्मान, संगीत साधिका सम्मान, शब्द शिल्पी सम्मान।
संपर्क : म. नं. 410, शंकर मार्ग-2, मंडावली, नई दिल्ली-110092
दूरभाष : 9868302465, 9716047200

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW