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हमारे सांस्कृतिक एवं धार्मिक ग्रंथ मानव के आनंदमय जीवन जीने के आधारस्तंभ रहे हैं। वेद, पुराण, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता, मनुस्मृति, ब्राह्मण-ग्रंथ, आरण्यक ग्रंथ, सूत्र ग्रंथ, दर्शनशास्त्र आदि ग्रंथ ज्ञान, सदाचार और ईश्वरीय मर्म को समझने का माध्यम रहे हैं। प्राचीन काल में इन ग्रंथों की जितनी महत्ता थी, उतनी आज भी है; लेकिन विरासत में मिले संस्कृति के इन आधारग्रंथों को भूलने की वजह से निरंतर तेजी से चारित्रिक पतन एवं जीवन मूल्यों में ह्रास हो रहा है। गिरते जीवन मूल्यों को पुन:स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि हम इन ग्रंथों को अपने जीवन में स्थान दें। इनका थोड़ा भी अंश हमें सुसंस्कारी बनाने के लिए पर्याप्त है। आधुनिक समय की आपाधापी में संपूर्ण ग्रंथ का अध्ययन शायद आम आदमी के लिए बेहद मुश्किल है। इसलिए प्रस्तुत पुस्तक में इन सांस्कृतिक ग्रंथों का संक्षिप्त व सरल विवरण दिया गया है। ज्ञान का विशद भंडार, इन ग्रंथों के भावार्थ को हम अपने जीवन में किंचित् मात्र भी उतार पाए तो हमारा जीवन सुख-संतोष से भर जाएगा।
जन्म : 2 अप्रैल, 1943 को गाँव देवलिया कलाँ, जिला अजमेर (राजस्थान) में।
शिक्षा : चार्टर्ड एकाउंटेंट। 1968 में सी.ए. बनने के बाद 1974 तक लोढ़ा ऐंड कंपनी दिल्ली व दी कृष्ण मिल्स लि. से संबद्ध।
कृतियाँ : ‘बदलते समीकरण’, जिसे काफी सराहा गया। ‘Handbook on Tax Deduction & Tax Collection at Source’ पुस्तक तथा कई लेख प्रोफेशनल व अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशितद्घ
1975 से इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंड्स ऑफ इंडिया के फैलो सदस्य हैं तथा दिल्ली में 1975 से प्रैक्टिस करते हैं। पूर्व में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्रीज, दिल्ली चेंबर ऑफ कॉर्स, लायंस क्लब, ब्यावर व दिल्ली के भी सदस्य रहे। कॉमर्स एसोसिएशन, भीलवाड़ा, सी.ए. स्टूडेंट्स एसोसिएशन, उदयपुर; मेवाड़ मित्र मंडल, दिल्ली; जी-ब्लॉक वेलफेयर एसोसिएशन, लक्ष्मीनगर, नई दिल्ली के सचिव रहे। ईस्ट दिल्ली चार्टर्ड एकाउंटेंट्स सी.पीई. स्टडी सर्कल के कन्वीनर रहे।
देश के सभी प्रमुख शहरों के अतिरिक्त नेपाल, श्रीलंका इंग्लैंड, फ्रांस, बेल्जियम, हॉलैंड, जर्मनी, ऑस्टि्रया, इटली स्वट्जिरलैंड, यू.ए.ई., ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका आदि देशों का भ्रमण।