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देश के वीरों का दृढ़ निश्चय अपने देश के प्रति प्रेम और भक्ति को दरशाता है। रणभूमि की ये घटनाएँ उन देशवासियों को अवश्य प्रेरित करेंगी और उन्हें सोचने पर मजबूर करेंगी, जो स्वयं को धनी बनाने के लिए कई प्रकार के गलत रास्ते अपनाते हैं। विगत में सामने आए घोटालों की बहुलता के बीच यह जान लेना उचित होगा कि ये मूढ़ दिमाग गलत सबक सीख रहे हैं।
बाल अपराधों के तेजी से बढ़ने के साथसाथ अपराध करने के तौरतरीके भी बदल रहे हैं। यदि इन बच्चों का ध्यान सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च बलिदान कर देनेवाले या निश्चित मौत के मुँह से बिना खरोंच के लौट आए उन अनेक शूरवीरों की हैरान कर देनेवाली शौर्यमयी घटनाओं तथा उनके पीछे के जज्बे पर केंद्रित हो जाए तो यह बच्चों को ऐसे शूरवीरों के नक्शेकदम पर चलने के लिए उनके भीतर उपजे प्रेरणादायक विचार की एक खुराक का काम कर सकता है। जहाँ पाँच गोरखा राइफल्स के सूबेदार किशनबीर सिंह नगरकोटी ने चार बार आई ओ एम जीतकर इतिहास रचा, वहीं सारागढ़ी के युद्ध में 21 सिख जवानों को प्रथम श्रेणी आईओएम से सुसज्जित किया जाना अपने आप में दुर्लभ, गौरवशाली और अप्रतिम घटना है।
यह पुस्तक देश के स्कूली बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। जो उनमें देशभक्ति, शूरवीरता, निडरता और परस्पर सहयोग की भावना जाग्रत् करेगी।
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अनुक्रम
भूमिका — Pgs. 7
स्रोत और आभारोति — Pgs. 11
आजादी के पूर्व
1. सूबेदार किशनबीर नगरकोटी आई.ओ.एम. 5 गोरा राइफल्स — Pgs. 21
2. सारागढ़ी : वीरता की गाथा 4 सि — Pgs. 26
3. ग्यांत्से जोंग : 1/8 गोरा राइफल — Pgs. 32
4. खुदादाद खान : विटोरिया क्रॉस बलूच रेजीमेंट — Pgs. 41
5. सूबेदार दरबान सिंह नेगी : विटोरिया क्रॉस गढ़वाल राइफल — Pgs. 44
6. फील्ड मार्शल सैम होरमसजी फरामजी जमशेदजी मानेकशॉ, एम.सी. — Pgs. 48
7. राइफलमैन गंजू लामा : विटोरिया क्रॉस, मिलिट्री मेडल : 11 गोरा राइफल्स — Pgs. 53
8. सिपाही भंडारी राम : विटोरिया क्रॉस डोगरा रेजीमेंट — Pgs. 57
9. राइफलमैन लछिमन गुरुंग : विटोरिया क्रॉस 8 गोरा राइफल्स — Pgs. 60
भारत-पाक युद्ध, 1947-48
10. जमादार नंद सिंह विटोरिया क्रॉस, महावीर चक्र 1/11 सिख (1 सि अब 4 मेकैनाइज्ड इन्फैंट्री) — Pgs. 69
11. मेजर सोमनाथ शर्मा, परम वीर चक्र 4 कुमाऊँ — Pgs. 75
12. लेटिनेंट कर्नल हरि चंद, महावीर चक्र 8 गोरा राइफल्स — Pgs. 83
भारत-चीन युद्ध, 1962
13. मेजर शैतान सिंह, परम वीर चक्र, 13 कुमाऊँ — Pgs. 93
14. मेजर धन सिंह थापा, परम वीर चक्र 1/8 गोरा राइफल्स — Pgs. 100
भारत-पाक युद्ध, 1965
15. हाजी पीर, 1965 — Pgs. 109
16. हवलदार अदुल हमीद, परम वीर चक्र, 4 ग्रेनेडियर्स — Pgs. 115
17. नायक दर्शन सिंह, महावीर चक्र, 5 सि लाइट इन्फैंट्री — Pgs. 120
भारत-पाक युद्ध, 1971
18. जनरल ए.एस. वैद्य, परम विशिष्ट सेवा मेडल, महावीर चक्र, अतिविशिष्ट सेवा मेडल — Pgs. 129
19. कैप्टन एम.एन. मुल्ला, महावीर चक्र — Pgs. 136
20. मेजर के.एस. चाँदपुरी, महावीर चक्र, 23 पंजाब — Pgs. 142
21. लाइंग ऑफिसर एन.जे.एस. सेखों, परम वीर चक्र — Pgs. 149
22. सेकंड लेटिनेंट अरुण खेत्रपाल, परम वीर चक्र 17 हॉर्स — Pgs. 153
कारगिल युद्ध, 1999
23. कैप्टन विक्रम बत्रा, परम वीर चक्र, 13 जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स — Pgs. 165
24. राइफलमैन संजय कुमार, परम वीर चक्र 13 जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स — Pgs. 172
25. कैप्टन विजयंत थापर, वीर चक्र ए.एस.सी. (2 राजपूताना राइफल्स) — Pgs. 175
शांति के दौरान दिए गए अवार्ड
26. लेटिनेंट कर्नल जसराम सिंह, अशोक चक्र, 16 राजपूत — Pgs. 183
27. नायब सूबेदार बाना सिंह, परम वीर चक्र, 8 जैक.लाई. 190
28. लेटिनेंट त्रिवेणी सिंह, अशोक चक्र, 5 जैक.लाई. 196
मेजर जनरल शुभी सूद का जन्म एवं लालन-पालन शिमला में हुआ। वहाँ से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने ‘नेशनल डिफेंस एकेदमी’ में प्रवेश लिया। उन्हें 8वीं गोरखा की चौथी बटालियन में कमीशन दिया गया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के झंगड़ क्षेत्र में और बाद में मणिपुर व नागालैंड में सैन्य काररवाइयों में भाग लिया।
सन् 1971 के युद्ध के कुछ पहले कैप्टन सूद की पदोन्नति मेजर के पद पर हुई और उन्हें थलसेनाध्यक्ष के उप सेना-सहायक का पदभार सौंपा गया। सितंबर 1972 में शुभी इंग्लैंड के कैंबरली के स्टाफ कॉलेज में अध्ययन के लिए गए। उन्होंने ‘हायर कमांड’ व ‘नेशनल डिफेंस कॉलेज कोर्स’ के महत्त्वपूर्ण पाठ्यक्रमों का अध्ययन किया। सूद वहाँ प्रशिक्षक भी रहे।
जब वे 12 कोर के चीफ ऑफ स्टाफ थे, तब उन्होंने सेना से सेवानिवृत्ति ले ली। जनरल सूद ने भारत में ‘ए.वी.आई.एस.टेंट ए कार’ मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर काम किया। तत्पश्चात् लेखन में व्यस्त रहे। दिसंबर 2004 में उनकी एक अन्य पुस्तक ‘यंग हजबैंड : ट्र्रबल्ड कैं पेन’ प्रकाशित हुई।