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नानाथ बत्राजी भारतीय शिक्षा के लिए एक समर्पित योद्धा की तरह आजीवन संघर्ष करते रहे हैं। इस लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए महान् चिंतक ही नहीं बल्कि देश के सम्मान की खातिर उन्होंने शिक्षा एक्टिविस्ट के रूप में सरकार द्वारा प्रायोजित पाठ्य-पुस्तकों एवं नीतियों में दरशाई गई मनोवृत्ति और विषयवस्तु पर सवाल उठाए।
एक चिंतक के रूप में उन्होंने सभी स्तरों पर तथा सभी आयामों में समसामयिक शिक्षा प्रणाली में मौजूद विसंगतियों के बारे में गहन विचार किया है। लंबे समय तक इनकी सोच, विचार-विमर्श महत्त्वपूर्ण देश की दीर्घ इतिहास, शैक्षिक विचारधारा, परंपरा एवं प्रक्रियाओं पर फोकस है, जिनकी जानबूझकर उपेक्षा की जाती रही है। बत्राजी भारतीय विचारधारा से शैक्षिक पहलू को पुन: जोड़ते हुए शिक्षा के स्वरूप को बदलने की दिशा में पूर्ण निष्ठा से प्रयासरत हैं।
यह पुस्तक विद्वान् लेखक के वर्षों की विचारणा शक्ति तथा अथक संघर्ष का दस्तावेज है। इस पुस्तक में भारत में शिक्षा के विभिन्न पहलुओं की पहचान करके विचार-विमर्श करने के साथ-साथ उनका विश्लेषण किया गया है। इनमें भारतीय शिक्षा के स्वरूप, चरित्र-निर्माण, लड़कियों की शिक्षा, व्यक्तित्व विकास, भारतीय विज्ञान, भारतीय गणित, प्रोफेशनल संस्थाओं में मूल्य-शिक्षण, विचारों का प्रदूषण, कुछ महान् शिक्षक, ब्रिटिश काल से पूर्व भारतीय शिक्षा, वैकल्पिक शिक्षा, मूल्यांकन और अत्यंत रोचक उपसंहार—शिक्षा की आत्मकथा जैसे विविध विषयों पर विचार व्यक्त किए गए हैं। आशा है, शिक्षा-प्रशासक, अध्यापक, विद्यार्थी तथा सामान्य जन यह पुस्तक पढ़ेंगे, क्योंकि जरूरी है कि व्यापक स्तर पर आम जनता की शिक्षा विषयक अनवरत एवं महत्त्वपूर्ण परिचर्चा में भागीदारी हो।
जन्म : 05 मार्च, 1930 को राजनपुर, डेरागाजी खान (पाकिस्तान) में।
शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली), बी.एड.।
कृतित्व : 1955 से 1965 डी.ए.वी. विद्यालय डेराबस्सी पंजाब तथा गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कुरुक्षेत्र में सन् 1965 से 1990 तक प्राचार्य। हरियाणा शिक्षा बोर्ड की पाठ्य योजना, दिल्ली शिक्षा बोर्ड, दिल्ली शिक्षा कोड समिति, दिल्ली नैतिक-शिक्षा समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। हरियाणा अध्यापक संघ के महामंत्री के रूप में कार्य किया। अखिल भारतीय हिंदुस्तान स्काउट्स गाइड के कार्यकारी अध्यक्ष रहे। विद्या भारती अ.भा. शिक्षण-संस्थान के राष्ट्रीय संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री तथा उपाध्यक्ष रहे। वर्तमान में विद्याभारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य। पंचनद शोध-संस्थान के पूर्व में निदेशक रहे। वर्तमान में संरक्षक है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (हृष्टश्वक्त्रञ्ज) की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। भारतीय शिक्षा शोध-संस्थान, लखनऊ की कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वर्तमान में शिक्षा संस्कृति उत्थान के अध्यक्ष एवं शिक्षा बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक हैं।
सम्मान-पुरस्कार : भारत स्काउट्स, हरियाणा में महामहिम राज्यपाल द्वारा ‘मेडल ऑफ मैरिट’, हरियाणा शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रशंसा प्रमाण-पत्र, श्रेष्ठ शिक्षक हेतु सम्मान। अध्यापन के क्षेत्र में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार भारत विकास परिषद् हरियाणा उत्तर क्षेत्र द्वारा प्रशस्ति-पत्र। स्वामी कृष्णानंद सरस्वती सम्मान-2010, बीकानेर सम्मान-पत्र, साहित्य श्री सम्मान-2012, स्वामी श्री अखंडानंद सरस्वती विशिष्ट व्यक्तित्व अलंकरण। राष्ट्रीय एवं शैक्षिक आंदोलन में अग्रणी भूमिका हेतु सात बार जेलयात्रा।
प्रकाशन : शिक्षा में त्रिवेणी, शिक्षा परीक्षा तथा मूल्यांकन की त्रिवेणी, प्रेरणा दीप भाग-1 वीरव्रत परम सामर्थ्य, प्रेरणा दीप-2 आत्मवत् सर्वभूतेषु, प्रेरणा दीप भाग-3 माँ का आह्वान, प्रेरणा दीप भाग-4 पूजा हो तो ऐसी, हमारा लक्ष्य, विद्यालयों में संस्कारक्षम वातावरण, विद्यालय गतिविधियों का आलय, शिक्षा का भारतीयकरण, चरित्र-निर्माण तथा व्यक्तित्व के समग्र विकास का पाठ्यक्रम।