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जीवन को सुख-समृद्धि और मानसिक शांति के आलोक से अलंकृत करना प्रत्येक मनुष्य के जीवन का परम उरभीष्ट होता है । इस दृष्टि से मानव जीवन को प्रभावित करनेवाले अनेक पहलुओं का महत्त्व है । इन महत्त्वपूर्ण पहलुओं में ' वास्तु विज्ञान ' की स्वीकार्य भूमिका है । यह प्राच्य विद्या वस्तुत: विज्ञान है जिसके सिद्धांतों, नियमों एवं विश्लेषणों का वैज्ञानिक आधार है । वर्तमान युग में इसके महत्त्व को समझा गया है । वास्तु शास्त्र विज्ञान एवं ज्योतिष का अनुपम संगम है ।
वास्तु शास्त्र के सिद्धांत और नियम जनसाधारण के जीवन में उपयोगी बनकर उनके जीवन को प्रगतिशील, समृद्धियुक्त एवं शांतिमय बना सकें, लेखक के इस लघु प्रयास का यही लक्ष्य है । विषय सामग्री सर्वग्राह्य बने, इस हेतु पुस्तक में सरलतम भाषा का प्रयोग किया गया हैं । दिशा एवं कोण वास्तु शास्त्र के अनिवार्य अंग हैं । समग्र भूमंडल की स्थिति का भौगोलिक ज्ञान भी इसी पर आधारित है । व्यक्ति का प्रत्यक्ष संबंध उसके अपने भूखंड से होता है, जिसपर वह अपना जीवन व्यतीत करता है । प्रस्तुत पुस्तक में इसी दृष्टि से भूखंड की मृदा, स्थिति, दिशा, कोण, क्षेत्रफल इत्यादि बिंदुओं का वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है ।
पुस्तक में स्थान-स्थान पर दिए गए चित्र विषय की रोचकता को बढ़ाते हैं और उसे और अधिक सुगम व सुग्राह्य बनाते हैं । विश्वास है, ' भारतीय वास्तु शास्त्र ' अपने इस स्वरूप में पाठकों को और भी पसंद आएगी ।
14 नवंबर, 1958 को सिरसा (हरियाणा) में जनमे पवन के. गोयल कई कार्यक्षेत्रों में अपूर्व बुद्धिमत्ता के परिचायक हैं। आपने वास्तु विद्या प्रतिष्ठानम् से वास्तु विद्या परिचय परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। औद्योगिक निर्माण, भवन-सज्जा एवं तकनीकी सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए आपने अपनी एक औद्योगिक परियोजना में फेंग शुई के चमत्कार के अद्भुत परिणाम अनुभव किए। इन परिणामों ने आपको फेंग शुई के प्रति जिज्ञासु व गहन चिंतक के रूप में स्थापित किया।
आपने वास्तु विज्ञान एवं फेंग शुई पर अनेक राष्ट्रीय सम्मेलनों को संबोधित किया है। प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में फेंग शुई विषय पर आपके लेख प्रमुखता के साथ प्रकाशित होते रहते हैं।