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प्रस्तुत पुस्तक में भारत के पूर्व विदेश सचिव श्री जे.एन. दीक्षित द्वारा पचास वर्षों की अवधि के विस्तृत फलक पर भारतीय विदेश नीति के विभिन्न चित्र सशक्त तथा प्रभावशाली ढंग से उकेरे गए हैं।
पुस्तक का यह नवीनतम व अद्यतन संस्करण भारत की विदेश नीति के विविध पक्षों को कालक्रमानुसार प्रस्तुत करता है।
* सन् 1947-48, 1965 तथा 1971 में भारत-पाक युद्ध;
* संयुक्त राष्ट्र का संदेहास्पद रवैया तथा कश्मीर का मुद्दा;
* 1962 में भारत-चीन युद्ध;
* 1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का कब्जा;
* महाशक्तिशाली सोवियत संघ का विघटन;
* कश्मीर की समस्या तथा पाकिस्तान की ‘परोक्ष युद्ध’ की कार्यनीति;
* 1991 में खाड़ी युद्ध;
* मई 1998 में भारत-पाक द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण;
* भारत में वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के विभिन्न पक्षों का विश्लेषण;
* अमेरिका के साथ सिविल न्यूक्लियर डील;
* मास्टर स्ट्रोक्स की विदेश नीति।
इस पुस्तक में विश्व के विभिन्न देशों—विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, चीन तथा पाकिस्तान आदि के साथ भारत के संबंधों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करते हुए घटनाओं के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विशद् विवेचन किया गया है। भारतीय विदेश नीति को आधार बनाकर लिखी गई यह पुस्तक निस्संदेह एक उत्कृष्ट कृति है।
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विषय-सूची
दो शब्द —Pgs vii
लेखक की बात —Pgs xi
1. भारत की विदेश नीति संकल्पनात्मक और तात्त्विक मूलाधार —Pgs 1
2. भारत राष्ट्र-समुदाय में शामिल —Pgs 11
3. अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के क्षेत्र में भारत का अभ्युदय (1946-1955) —Pgs 22
4. भ्रांतियों का अंत ऱ नए युग का प्रारम्भ (1956-64) —Pgs 42
5. भारत की विदेश नीति का प्रमुख चरण (1964-77) —Pgs 64
6. आंतरिक अनिश्चितता एवं —Pgs प्रतिक्रियामूलक कूटनीति का काल (1977-84) —Pgs 99
7. बदलते हुए विश्व के साथ तालमेल (1985-91) —Pgs 141
8. 21वीं सदी की दहलीज पर (1990-97) —Pgs 173
9. नए विश्व की ओर —Pgs 200
10. नई लीक —Pgs 212
11. मास्टर स्ट्रोक्स की विदेश नीति —Pgs 223
12. कश्मीर ऱ एक उलझी समस्या —Pgs 247
13. भारत और संयुक्त राष्ट्र —Pgs 259
14. कार्यवाही परमाणु अप्रसार तथा निरस्त्रीकरण —Pgs 279
15. आर्थिक कूटनीति —Pgs 297
16. निर्णय लेने की प्रक्रिया एवं राजनीतिक और व्यावहारिक पक्ष —Pgs 313
17. भारत की विदेश नीति ऱ एक मूल्यांकन —Pgs 322
18. भारत की विदेश नीति से जुड़ी चुनौतियाँ —Pgs 358
19. चीन और दक्षिण एशिया ऱ पोखरण-II के बाद —Pgs 375
20. परमाणु शक्ति के रूप में भारत —Pgs 383
जे.एन. दीक्षित का जन्म चेन्नई (मद्रास) में हुआ था। उनके माता-पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी स्नातकोत्तर शिक्षा दिल्ली में पूरी हुई। अध्ययन के विषय ‘अंतरराष्ट्रीय विधि’ तथा ‘अंतरराष्ट्रीय संबंध’ थे। भारतीय विदेश सेवा में रहते हुए उन्होंने दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप तथा जापान आदि में भारतीय दूतावासों में उच्च पदों पर कार्य किया। भूटान, बँगलादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका तथा पाकिस्तान में भारत के प्रमुख राजनयिक के रूप में कार्य किया। इसके अतिरिक्त उन्होने विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में भी सेवा की। विदेश मामलों पर वे लोकप्रिय विश्लेषक रहे। विदेश नीति, सुरक्षा, शस्त्र नियंत्रण व निरस्त्रीकरण पर लगभग पंद्रह सौ लेख और आठ पुस्तकें प्रकाशित हैं। भारतीय विदेश सेवा संस्थान में शिक्षण कार्य, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में अतिथि प्रोफेसर, यूनाइटेड सर्विसेस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया, दिल्ली पॉलिसी ग्रुप एवं नेहरू स्मारक संग्रहालय व पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद् के वरिष्ठ सदस्य रहे।
स्मृतिशेष : 3 जनवरी, 2005।