Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Bhartrihari Ka Shringhar Shatak   

₹300

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Moolchandra Pathak
Features
  • ISBN : 9789386054685
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Moolchandra Pathak
  • 9789386054685
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 120
  • Hard Cover
  • 200 Grams

Description

इस शतक में कवि ने स्त्रियों के हाव-भाव, प्रकार, उनका आकृषण व उनके शारीरिक सौष्ठव के बारे में विस्तार से चर्चा की है।
इस रचना में कवि ने रमणियों के सौन्दर्य का तथा उनके पुरुषों को आकृष्ट करने वाले शृंगारमय हाव-भावों का चित्रण किया है। इस शतक में कवि ने स्त्रियों के हाव-भाव, प्रकार, उनका आकृषण व उनके शारीरिक सौष्ठव के बारे में विस्तार से चर्चा की है। कवि का कहना है कि इन्द्र आदि देवताओं को भी अपने कटाक्षों से विचलित करने वाली रमणियों को अबला मानना उचित नहीं है। नारी अपने आकर्षक हाव-भावों से मानव मन को आकृष्ट करके बाँध लेती है - "समस्तभावैः खलु बन्धनं स्त्रियः"। इसके अतिरिक्त भर्तृहरि ने अपने शतक में वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त व शिशिर ऋतु में स्त्री व स्त्री प्रसंग का अत्यधिक शृंगारिक (कामुक) वर्णन किया है। वास्तव में इस शतक में सांसारिक भोग और वैराग्य इन दो विकल्पों के मध्य अनिश्चय की मनोवृत्ति का चित्रण हुआ है जो वैराग्यशतक में पहुँचकर निश्चयात्मक बन जाती है।

The Author

Moolchandra Pathak

मूलचंद्र पाठक—जन्म : 6 अक्‍तूबर, 1932 को जयपुर (राज.) में। शिक्षा : एम.ए. (संस्कृत व हिंदी), पी-एच.डी. (संस्कृत)।

कृतित्व :‘संस्कृत नाटक में अतिप्राकृत तत्त्व’ (शोध ग्रंथ), ‘सिकता का स्वप्न’ (काव्य-संग्रह), ‘राजरत्‍नाकर महाकाव्य’ हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर संस्कृत मूलपाठ का संपादन एवं अनुवाद, ‘भगवद‍्गीता-काव्य’ (गीता का काव्यानुवाद), ‘भर्तृहरि का नीति शतक’, ‘भर्तृहरि का श्रृंगार शतक’, ‘भर्तृहरि का वैराग्य शतक’ (मुक्‍तछंदीय काव्यानुवाद), ‘रघुवंश महाकाव्य’ (काव्यानुवाद), ‘पर्यावरणशतकम्’ (संस्कृत काव्य)।

सम्मान-पुरस्कार : मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार तथा राष्‍ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली; राजस्थान सरकार तथा राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर द्वारा विद्वत्सम्मान।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW