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श्री पाठक कौ मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली द्वारा मार्च २००० में ' विद्वत्सम्मान ' से, राजस्थान सरकार द्वारा संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में प्रशंसनीय लोकसेवा के लिए अगस्त २००१ में तथा राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर द्वारा मार्च २००२ में विशिष्ट विद्वान् के रूप में सम्मानित किया गया ।
मूलचंद्र पाठक—जन्म : 6 अक्तूबर, 1932 को जयपुर (राज.) में। शिक्षा : एम.ए. (संस्कृत व हिंदी), पी-एच.डी. (संस्कृत)।
कृतित्व :‘संस्कृत नाटक में अतिप्राकृत तत्त्व’ (शोध ग्रंथ), ‘सिकता का स्वप्न’ (काव्य-संग्रह), ‘राजरत्नाकर महाकाव्य’ हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर संस्कृत मूलपाठ का संपादन एवं अनुवाद, ‘भगवद्गीता-काव्य’ (गीता का काव्यानुवाद), ‘भर्तृहरि का नीति शतक’, ‘भर्तृहरि का श्रृंगार शतक’, ‘भर्तृहरि का वैराग्य शतक’ (मुक्तछंदीय काव्यानुवाद), ‘रघुवंश महाकाव्य’ (काव्यानुवाद), ‘पर्यावरणशतकम्’ (संस्कृत काव्य)।
सम्मान-पुरस्कार : मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार तथा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली; राजस्थान सरकार तथा राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर द्वारा विद्वत्सम्मान।