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प्रस्तुत ग्रंथ ‘भटकाव के 67 वर्ष : कुछ मुद्दे’ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् से 2014 ई. तक की कुछ प्रमुख घटनाओं तथा राष्ट्रीय समस्याओं का ऐतिहासिक संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक विवेचन है। इसमें भारतीय नेतृत्व तथा उसके विभिन्न क्रियाकलापों का वर्णन तथा उनकी सोच तथा उनके व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डाला गया है।
ग्रंथ में कुछ प्रमुख मुद्दों की आलोचनात्मक समीक्षा की गई है। इसमें मजहब के आधार पर निर्मित भारत विभाजन से अपनी असीम पीड़ा तथा उससे उत्पन्न अनेक समस्याओं, भारतीय संस्कृति तथा अतीत से कटकर पाश्चात्य मॉडल पर आपा-धापा में बने भारतीय संविधान, भारतीय संविधान सभा में उस पर विशद विवाद तथा चर्चा, पाश्चात्य दृष्टि पर बनी शिक्षा-नीति, देशीय भाषा के स्थान पर अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व तथा पाठ्य पुस्तकों में विकृतियाँ, कश्मीर में की गई असभ्य भूलों के साथ, भारत-पाकिस्तान के चार प्रमुख युद्धों में भारतीय सेनाओं की शानदार विजयों के साथ, चीन के साथ युद्ध में शर्मनाक हार तथा भारतीय राजनीति के प्रमुख सूत्रों में भारतीय मुसलमानों को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने की बजाय, चुनाव की वोट की राजनीति से वशीभूत हो, मुसलिम तुष्टीकरण की नीति तथा उसके विभिन्न स्वरूपों पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। निश्चय ही यह ग्रंथ गत 67 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में हुई हलचलों तथा भारत के राजनैतिक नेतृत्व के भटकाव, अलगाव, परस्पर टकराव तथा ठहराव की अनिर्णायक स्थिति की अवस्था, अवलोकन करने में सहायक होगा।
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अनुक्रम
प्राक्कथन — Pgs. 5
1. विषय प्रवेश : विभाजन की पीड़ा तथा भटका राजनैतिक नेतृत्व — Pgs. 11
2. संस्कृति और संविधान भारतीय संविधान : एक समीक्षा — Pgs. 25
3. शिक्षा, भाषा तथा पाठ्य पुस्तकें — Pgs. 60
4. भारतीय सेना तथा सुरक्षा-युद्ध — Pgs. 95
5. कांग्रेस राजनीति यानी मुसलिम तुष्टीकरण — Pgs. 155
उपसंहार — Pgs. 210
परिशिष्ट : एक — Pgs. 217
परिशिष्ट : दो — Pgs. 223
परिशिष्ट : तीन — Pgs. 226
Bibliography — Pgs. 227
प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल (जन्म 1938) एक प्रसिद्ध इतिहासकार तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में आधुनिक भारतीय इतिहास के वरिष्ठ प्रोफेसर रहे हैं। वे तीन दर्जन से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं तथा विभिन्न विख्यात पत्र-पत्रिकाओं में उनके लगभग 500 लेख प्रकाशित हुए हैं। अंग्रेजी भाषा में कुछ महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं—फ्रीडम मूवमेंट इन पंजाब (1905-1929); सोर्सेज ऑन नेशनल मूवमेंट इन इंडिया (1919-1920); हरियाणा : ए हिस्टॉरिकल पर्सपैक्टिव (1761-1966); ए सिलेक्टेड अनोटेटेड बिब्लियोग्राफी ऑन फ्रीडम मूवमेंट इन इंडिया : पंजाब एंड हरियाणा (1858-1947) व इंडिया डिस्टॉर्टेड : ए स्टडी ऑफ ब्रिटिश हिस्टॉरियंस ऑन इंडिया (तीन भाग)। कुछ प्रसिद्ध हिंदी पुस्तकें हैं—भारत में राष्ट्रीयता का स्वरूप (प्रारंभ से मुसलिम काल तक); भारत का स्वाधीनता संग्राम, ब्रिटिश इतिहासकार तथा भारत, 1857 की महान् क्रांति का विश्व पर प्रभाव; स्वामी विवेकानंद की इतिहास दृष्टि, साम्यवाद का सच, भारतीय नारी : अतीत से वर्तमान तक, विश्व में साम्यवादी साम्राज्यवाद का उत्थान एवं पतन, मुसलिम शासन और भारतीय जनसमाज; कांग्रेस : अंग्रेज भक्ति से राजसत्ता तक एवं हिंदुत्व से प्रेरित विदेशी महिलाएँ।
संप्रति : भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष।