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प्रसिद्ध साहित्यकार वैद्य गुरुदत्त ने अपने ' अंतरिक्ष में ' उपन्यास में कल्पना की है कि रात का अँधेरा दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा चंद्रमा बनाया, जो रात भर सूर्य जैसा, पर शीतल, उजाला देता है । यह कल्पना अभी तक तो फलीभूत नहीं हुई; लेकिन संभव है, अगले कुछ दशकों में आदमी चंद्रमा की सैर के लिए जा सकेगा । घर बैठे आप संसार-दर्शन कर सकते हैं, किसी देश में बसे अपने संबंधी से बात कर सकते हैं-टेलीविजन और टेलीफोन के माध्यम से । वर्षों में पूरी न होनेवाली दूरी को आप चंद घंटों में हवाई जहाज के माध्यम से तय कर सकते हैं ।
ये सभी चमत्कार या भौतिक उपलब्धि भौतिक विज्ञान की देन हैं । हमारे जीवन का प्रत्येक कार्यकलाप भौतिक विज्ञान की उपलब्धियों के माध्यम से नियंत्रित है । भौतिक विज्ञान ने ब्रह्मांड के जिन रहस्यों को जिस-जिस प्रकार से उद्घाटित किया है, उसका इतिहास अत्यंत रोचक है । भौतिक विज्ञानियों ने नाप-जोख से लेकर गुरुत्वाकर्षण, गति, ऊष्मा, प्रकाश, विद्युत् चुंबकत्व तथा ध्वनि आदि से संबंधित विभिन्न सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है । दैनिक जीवन में ऐसी अनेक घटनाएँ अनुभव में आती हैं, जिनके पीछे भौतिकी के नियम कार्यशील हैं । भौतिकी की ऐसी ही रोचक बातों का सचित्र वर्णन् प्रस्तुत किया गया है-' भौतिकी की रोचक बातें ' पुस्तक में । पुस्तक विद्यार्थियों, अध्यापकों के साथ-साथ जनसाधारण के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी ।
डॉ. शिवगोपाल मिश्र ( जन्म : सन् 1931) विज्ञान-जगत् के ख्याति -प्राप्त लेखक हैं । आपने इलाहबाद विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. ( कृषि रसायन) तथा डी. फिल्. की उपाधियाँ प्राप्त करने के बाद इसी विश्वविद्यालय में 1956 से 1991 तक क्रमश: लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर और निदेशक पदों पर अध्यापन और शोधकार्य का निर्देशन किया । सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व, फास्फेट, पादप रसायन, अम्लीय प्रदूषण, जैव उर्वरक, भारतीय कृषि का विकास, ऊर्जा, जीवनोपयोगी सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व नामक पुस्तकों का प्रणयन आपकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है । आपकी कई पुस्तकें पुरस्कृत भी हो चुकी हैं । आपने मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण के विषय में अनेकानेक शोधपरक निबंध प्रकाशित किए हैं । प्रारंभ से ही हिंदी में रुचि होने के कारण 1952 से आप विज्ञान परिषद् प्रयाग से संबद्ध रहे हैं । आपने कई वर्षों तक मासिक पत्रिका ' विज्ञान ' का संपादन किया है । आपने ' भारत की संपदा ' का -संपादन तथा ' रसायन विज्ञान कोश ' का लेखन किया है ।
आपकी हिंदी सेवाओं के लिए 1993 में आपको ' डॉ. आत्माराम पुरस्कार ' से सम्मानित किया गया । विज्ञान परिषद् तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ सॉयल साइंस के आप आजीवन सदस्य हैं ।