₹400
हमारे समाज के हर वर्ग की वैधानिक आकांक्षाएँ हैं; लेकिन इन्हें पूरा कर पाने के लिए एक ऐसी समग्र सोच की जरूरत है, जो राष्ट्र-हित को ध्यान में रखती हो। व्यक्तियों का और समाज का सद्भावपूर्ण विकास पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद का प्रमुख गुण है, जिसे भाजपा अपना मार्गदर्शक दर्शन मानती है।
भारत के वैकल्पिक आर्थिक मॉडल की पहली जरूरत के रूप में कृषि और ग्रामीण विकास की व्यवस्थित अनदेखी को बंद करना चाहिए। किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को कम लागत एवं आसान शर्तों पर पूँजी उपलब्ध करानी चाहिए।
जल संसाधनों का प्रबंध कर पाने की हमारी अयोग्यता से सूखा और बाढ़ की स्थिति गंभीर हो रही है। दूसरी ओर, पानी के फिर से इस्तेमाल कर पाने की योजनाओं की कमी के कारण हम औद्योगिक विकास और बिजली उत्पादन के अवसर खो रहे हैं। जल प्रबंधन के लिए आवश्यक है पानी के फिर से इस्तेमाल की नई विधियों की खोज।
बिजली उत्पादन के विकल्पों की गंभीरता से खोज आवश्यक है ताकि बिजली संकट खत्म हो सके। ऐसी दीर्घकालीन योजना बनानी चाहिए, जिसमें ऊर्जा वैकल्पिक स्रोतों को सही महत्त्व दिया जाए।
जमीन से जुड़े वरिष्ठ राजनेता श्री नितिन गडकरी के चिंतनपरक विचारों का संकलन जिसमें विकसित भारत के स्वप्न को यथार्थ में बदलने का एक व्यावहारिक ब्यूप्रिंट है। ग्रामीण और शहरी में समान रूप से विकास का इंजन गतिशील हो, प्राकृतिक संसाधनों का कुशल प्रबंधन हो, हरित ऊर्जा का व्यापक प्रचार हो—इन सबका बहुत वस्तुपरक आकलन प्रस्तुत है ‘भविष्य का भारत’ में।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
1. एक सपने का पुनर्जीवन — Pgs. 9
2. राष्ट्रीय राजनीति का नया अध्याय — Pgs. 21
3. विकास का इंजन — Pgs. 45
4. ग्रामीण भारत — Pgs. 69
5. शहरी अधोसंरचना — Pgs. 95
6. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन — Pgs. 129
7. हरित ऊर्जा — Pgs. 147
8. आगे की राह — Pgs. 161
9. टिप्पणियाँ और संदर्भ — Pgs. 184
सन् 1975 में देश में 19 महीने चले आपातकाल के विरोध में संघर्षरत एक 19 वर्षीय युवक, नितिन गडकरी। आयु के 22वें वर्ष में विदर्भ प्रदेश विद्यार्थी परिषद् के सचिव नियुक्त; 1981 में नागपुर भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष; 1985 में नागपुर भाजपा के मंत्री एवं 1988 में महामंत्री; 1989 में महाराष्ट्र विधान परिषद् के लिए निर्वाचित, लगातार चार बार विधान परिषद् के लिए चुने गए। महाराष्ट्र भाजपा के महामंत्री के बाद भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री तथा 1999 से विधान परिषद् में विपक्ष के नेता। 2004 में महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष और 2009 से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष।
27 मई, 1957 को नागपुर में जन्म; नागपुर विश्वविद्यालय से एम.कॉम., एल-एल.बी. और डी.बी.एम. की पढ़ाई करते हुए विद्यार्थी आंदोलनों में सक्रिय।
सन् 1984 में श्रीमती कांचन के साथ विवाह संपन्न हुआ। उनके दो पुत्र क्रमश: निखिल और सारंग तथा एक पुत्री केतकी है।
किसानों की स्थिति सुधारने के लिए जैविक ईंधन, नए तकनीकी ज्ञान का उपयोग, आधुनिक तरीके से बीजारोपण व उसके लिए कार्यशाला, प्रदर्शनी आदि का आयोजन करते हुए उन्होंने सौर ऊर्जा तथा जैविक ईंधन की परियोजनाएँ निजी रूप में कार्यान्वित कीं।