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तमाम व्यावसायिकता के नारों के बीच भारतीय मीडिया को यह समझना होगा कि वह लोकतंत्र का शक्तिशाली स्तंभ है और राष्ट्रीय संस्कारों तथा लोकतांत्रिक मूल्यों का संवाहक भी । वह दिशादर्शन के गहरे दायित्व-बोध से भी जुड़ा हुआ है । भारतीय मीडिया-चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो अथवा प्रिंट मीडिया-दोनों का ही सैद्धांतिक स्वरूप राष्ट्रीय समता, अखंडता और संप्रभुता बनाए रखने के उद्देश्य के साथ-साथ देश की जनता में सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से एक अनुकूल और प्रेरक सोच पैदा करने के उद्देश्य से गढ़ा गया है । शिक्षा तथा साक्षरता के माध्यम से समाज के विकास को गति देना भी उनका लक्ष्य है । उसके उद्देश्यों में जागृति पैदा करना, सूचना देना तथा व्यापक रूप से जनता के जीवन-स्तर को उठाना भी शामिल है । भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में मीडिया के सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई बढ़ गई है । व्यावसायिकता से उपजी तमाम चुनौतियों के बीच भारतीय मीडिया को अपनी यह चमक पुन: कायम करनी होगी । उसे इन्हीं चुनौतियों से गुजरकर वह राह पकड़नी होगी, जिसपर चलकर वह देश के व्यापक फलक पर व्याप्त भ्रष्टता और विसंगति को चुनौती दे सके; ' साम्राज्यवादी सूचनाओं के इंद्रजाल ' से मुक्त होकर राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का पाठ पढ़ा सके तथा ग्लैमर, चकाचौंध के आवरण को चीरकर समाज को स्वस्थ दिशा दे सके । -इसी पुस्तक से
शिक्षा : एम. ए. (नए कीर्तिमान के साथ तीन स्वर्ण पदक), पी-एच.डी. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), डी. लिट. ।
संप्रति : रीडर, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय (नॉर्थ कैंपस) ।
पुरस्कार : ' भारतेंदु हरिश्चंद्र प्रथम पुरस्कार ( केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय), ' साहित्य श्री सम्मान ' ( दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन), ' प्रेमचंद रचनात्मक लेखन पुरस्कार ' ।
प्रकाशन : पुस्तकें - हिंदी के निर्माता, भूमंडलीकरण और मीडिया, स्त्रीघोष, विज्ञापन की दुनिया, जनसंपर्क प्रबंधन, गाँव के मन से रू-ब- रू, नई कविता में राष्ट्रीय चेतना, अमृतपुत्र, 1000 हिंदी साहित्य प्रश्नोत्तरी और काव्य मंजरी । सन् 1979 से दिनमान, सारिका, जनसत्ता, इंडिया टुडे, नव भारत टाइम्स, वर्तमान साहित्य, गंगा, चौथी दुनिया, अमृत प्रभात, गगनांचल, दैनिक हिंदुस्तान, इंद्रप्रस्थ भारती, संडे मेल, संडे ऑब्जर्वर, वामा आदि पत्र- पत्रिकाओं में समीक्षात्मक लेख । महिला लेखन और लेखिकाओं पर ' जनसत्ता ' के ' आधी दुनिया ' स्तंभ के अंतर्गत लेखन । अंग्रेजी कहानियों के अनुवाद और सामाजिक समस्याओं पर अनेक लेख प्रकाशित ।
साहित्यिक मासिक पत्रिका ' साहित्य अमृत ' की संयुक्त संपादक ( 1996 - 2004) ।
अन्य : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर साहित्यिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति ।