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सन् 1984 में घटी भोपाल गैस त्रासदी को आज कौन नहीं जानता। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस ने अर्धरात्रि में सो रहे हजारों लोगों की जान ले ली थी। उस हत्यारी गैस ने सैकड़ों मासूम बच्चों, स्त्रियों और निर्दोष युवक-वृद्धों को सदैव के लिए मौत की नींद सुला दिया था। उस दुर्घटना में मानव ही नहीं, हजारों पशुओं—भैंसों, गायों, बकरियों, कुत्तों एवं अन्य जीवों—को भी अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े थे।
जब वह त्रासदी हुई, मानवता चार-चार आँसू रो रही थी। उस समय आम लोगों, अनेक सामाजिक संस्थाओं एवं स्वयंसेवी संगठनों ने भी राहत-कार्यों में बढ़-चढ़कर योगदान दिया था। यही मानवता का तकाजा भी था। किंतु वहीं दूसरी ओर कुछ प्रभावशाली अधिकारियों व डॉक्टरों के नाकारापन और गुनहगारों को बचाने के एक सूत्रीय कार्यक्रम एवं स्वार्थी तत्त्वों ने कर्मठ व ईमानदार प्रशासनिक अधिकारियों, डॉक्टरों तथा सरकारी अमले की मानवीयता व कर्तव्यपरायणता तथा गैस-पीड़ितों को झिंझोड़कर रख दिया। उस समय यूनियन कार्बाइड कारखाने के कर्ता-धर्ताओं से लेकर इन सरकारी आला अफसरों ने पीड़ित जनों के प्रति जो बेरुखी दिखाई, उस घटना के अपराधियों को बचाने के लिए जो तिकड़में भिड़ाईं—वह अपने आप में अलग ही दास्तान है।
आज बहुत से लोग भोपाल गैस त्रासदी के सच को नहीं जानते। इस पुस्तक में उस कड़वे सच से रू-बरू कराया गया है तथा अनेक अजाने रहस्यों का उद्घाटन किया गया है। विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक को पढ़कर पाठकगण एक बहुत बड़ी सच्चाई से अवगत होंगे।
सन् 1937 में ग्राम माँद, जिला रीवा, मध्य प्रदेश में जनमे श्री मोती सिंह की स्कूली शिक्षा आठवीं तक मनगवाँ में, दसवीं तक मार्तंड स्कूल, रीवा में हुई। इंटर एवं स्नातक दरबार कॉलेज, रीवा से तथा गणित में स्नातकोत्तर की उपाधि इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से प्राप्त की। मेधावी छात्र रहे मोती सिंह ने इंटरमीडिएट की परीक्षा में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सी.बी.एस.ई.), अजमेर में तथा एम.ए. (गणित) में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
एक प्रशासक के रूप में मोती सिंह ने आम जनता एवं सार्वजनिक हितों को ही सर्वोपरि माना तथा उसी के लिए कार्य किया। भोपाल में जब वे कलेक्टर एवं डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पद पर थे तब दुनिया की भीषणतम औद्योगिक दुर्घटना यूनियन कार्बाइड कारखाना, भोपाल में हुई।
आयुक्त/सचिव, मध्य प्रदेश शासन के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आप भोपाल में ही रह रहे हैं।